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सिजीमाली खनन के विरोध में आयोजित जनसभा में होना था शामिल
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20 से 25 लोगों का रायगड़ा जिले में प्रवेश था प्रतिबंधित
रायगड़ा। प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर को गुरुवार को ओडिशा के रायगड़ा जिले में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वह जिले के काशीपुर ब्लॉक के हाटपाड़ा में प्रस्तावित सिजीमाली बॉक्साइट खनन परियोजना के विरोध में आयोजित एक जनसभा में भाग लेने जा रही थीं।
यह कार्यक्रम विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्थानीय आदिवासी समुदायों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिजीमाली खनन परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाना और पर्यावरण तथा आजीविका पर संभावित खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करना था।
मेधा पाटकर को रायगड़ा रेलवे स्टेशन पर ही रोक दिया गया, जहां से उन्हें सभा स्थल जाना था। एक स्थानीय चैनल से फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया कि जैसे ही मैं ट्रेन से उतरी, पुलिस ने मुझे स्टेशन पर रोक लिया। उन्होंने वीआईपी लाउंज में इंतजार करने को कहा, पर मैंने इनकार कर दिया। मुझे जिस व्यक्ति ने बुलाया था, उसके घर जाना था और फिर कार्यक्रम में हिस्सा लेना था। लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी।
पाटकर ने बताया कि पुलिस ने उन्हें जिला कलेक्टर का एक आदेश दिखाया, जिसमें 20 से 25 लोगों को रायगड़ा जिले में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है। मुझ पर लोगों को उकसाने का आरोप लगाया गया, जबकि मेरा उद्देश्य शांति पूर्ण रूप से सभा में शामिल होना और स्थानीय लोगों की आवाज़ को समर्थन देना था।
लंबे समय से आंदोलनरत हैं आदिवासी
सिजीमाली खनन परियोजना को लेकर काशीपुर क्षेत्र के आदिवासी लंबे समय से आंदोलनरत हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि खनन से न सिर्फ जंगल और जल स्रोतों को नुकसान होगा, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान, कृषि और जीवनशैली पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
हिरासत ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय सुर्खियों में लाया
मेधा पाटकर की हिरासत ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। कई सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कार्रवाई की तीखी आलोचना की है और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध और जनअधिकार की आवाज़ को दबाना निंदनीय है। वहीं, रायगड़ा प्रशासन की ओर से इस घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है।