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अस्पताल प्रशासन, चिकित्सकों और स्टाफ के साथ आपात बैठक की
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हालात का जायजा लिया, लापरवाही की जांच शुरू
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कहा-अगर कहीं लापरवाही हुई है, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी
कोरापुट/भुवनेश्वर। ओडिशा के कोरापुट जिले स्थित शहीद लक्ष्मण नायक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में गलत इंजेक्शन से मौत की संख्या छह तक पहुंच गई। इस त्रासदी ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी है और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संभावित चिकित्सीय लापरवाही के आरोपों के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मुकेश महालिंग गुरुवार को स्वयं कोरापुट पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
स्वास्थ्य मंत्री ने सुबह कोरापुट पहुंचते ही अस्पताल प्रशासन, चिकित्सकों और स्टाफ के साथ आपात बैठक की। उन्होंने सीधे तौर पर पूछा कि आखिर एक ही रात में आईसीयू और जनरल सर्जरी वार्ड में छह मरीजों की जान कैसे चली गई।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं यह समझना चाहता हूं कि आखिर यहां हुआ क्या। मरीजों की जान सबसे ऊपर है। अगर कहीं लापरवाही हुई है, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
रात में इंजेक्शन देने के बाद बिगड़ी थी हालत
मंगलवार देर रात से बुधवार सुबह तक आईसीयू में तीन और जनरल वार्ड में तीन मरीजों की मौत हो गई। परिजनों ने दावा किया कि रात में मरीजों को दूसरी बार कोई इंजेक्शन दिया गया, जिसके बाद सभी की हालत तेजी से बिगड़ गई।
इस घटना के बाद शोक में डूबे परिजनों ने अस्पताल परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। स्थिति तनावपूर्ण हो गई, जिसके बाद कोरापुट टाउन पुलिस स्टेशन से पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
जांच के लिए पहुंची सरकार की विशेष टीम
राज्य सरकार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए कई टीमों का गठन किया है। एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, ब्रह्मपुर और एससीबी मेडिकल कॉलेज, कटक से पांच वरिष्ठ डॉक्टरों की एक स्वतंत्र टीम को कोरापुट भेजा गया है। टीम ने गुरुवार सुबह से मौके पर जांच शुरू कर दी है।
अस्पताल का दावा: गलत इंजेक्शन नहीं दिया गया
अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुशांत कुमार साहू ने प्रेस वार्ता में कहा कि सभी मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती किए गए थे। गलत इंजेक्शन देने का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन यह घटना अत्यंत गंभीर है और हम इसकी पूरी समीक्षा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सभी छह मृतकों का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है ताकि मौत का वास्तविक कारण पता चल सके। साथ ही विभागीय प्रमुखों की एक बैठक बुलाकर इलाज और मेडिकल प्रोटोकॉल की समीक्षा की जा रही है।
जांच और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर नजर
यह मामला न केवल कोरापुट बल्कि पूरे राज्य में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री की त्वरित कार्रवाई और जांच टीमों की सक्रियता के बाद अब निगाहें जांच तथा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि लापरवाही की पुष्टि होती है, तो अस्पताल प्रशासन और जिम्मेदार चिकित्सकों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।