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मातृशक्ति को सुदृढ़ किये बिना राष्ट्र को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता : संध्या ताई

  •  कहा-राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने में मातृशक्ति की प्रमुख भूमिका

भुवनेश्वर। राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने में मातृशक्ति की प्रमुख भूमिका है। मातृशक्ति को सुदृढ़ किये बिना राष्ट्र को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता। राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सेवा प्रमुख संध्या ताई टिपरे ने ये बातें कहीं। भुवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति में राष्ट्र सेविका समिति की ओडिशा प्रांत के शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम में उदवोधन देते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

उन्होनें कहा कि मां जन्म देती है, पालती है, संस्कार देती है। संरक्षण व संवर्धन करती है। ऐसी माता जगतजननी है। ऐसी जगतजननी मातृभूमि के लिए हमें कार्य करना है। ऐसी सुदृढ़ मातृशक्ति का हमें निर्माण करना है। इस चैतन्य शक्ति को जागृत करने का कार्य मां करती है।

राष्ट्र सेविका समिति के तीन आदर्श

उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति ने तीन आदर्श हमारे सामने रखी है। पहला है मातृत्व, दूसरा है नेतृत्व व तीसरा कर्तृत्व। मातृत्व भाव के बिना हम कोई भी कार्य करेंगे तो वह कार्य सूचारु रुप से नहीं होगा। हमारी महान संस्कृति में मां शब्द सुनने पर ही हमारी संवेदनाएं जगती हैं। मम्मी कहने पर संवेदनाएं नहीं जगती। तो हमे मां बनना है। कैसी मां हमें बनना है, हमें मातृभूमि जैसी मां बनना है। सीता माता जैसा मातृत्व हमें जागृत करना है। वे हमारे सामने आदर्श हैं।

मां जैसा सोचती है, वैसे बालक बनते हैं

उन्होंने कहा कि मां जैसा सोचती है, वैसे बालक बनते हैं। राष्ट्र को सुदृढ़ बनाना है तो हमें ऐसी मां बनना है। मां वह होती है, जो सर्जन करती है, जो रक्षण करती है और पोषण करती है और उसमें लेश मात्र स्वार्थ नहीं होता। निःस्वार्थ भाव से वह जो कार्य करती है, वह मां है। ऐसी मां बनना है, लेकिन इसमें कर्तृत्व भाव भी चाहिए। बिना कर्तृत्व भाव के मातृत्व भी कार्य का नहीं है। हर मां के पास कर्तृत्व का भाव होता है। वह परिवार में घर का प्रत्येक कार्य सुचारु रुप से व्यवस्थित रुप से करती है। परिवार के प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव वह जानती है। परिवार का प्रत्येक व्यक्ति ऊर्धगामी बने यह मां का विचार है और इसलिए वह कर्तृत्व निभाती है।

भारत की मातृशक्ति को जागृत करने की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि कर्तृत्व लिया, लेकिन नेतृत्व नहीं लिया तो भी नहीं चलता। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी इसी भूमि पर जन्मी थी। इसलिए हमें रानी लक्ष्मीबाई जैसा बनना है। इसलिए इस भारत की मातृशक्ति को जागृत करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति में 2026 में 90 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी अवधि में हमने मातृत्व, कर्तृत्व व नेतृत्व का विकास तो किया है, लेकिन समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस विचार से जुड़े, इसके लिए भी हमें कार्य करना है। व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र का पुननिर्माण होगा। इसलिए हम शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति शाखा में नहीं आयेगा। इसलिए समाज को इन संस्कारों से हमें बंचित नहीं करना है। समाज को हमें जागृत करना है। उन्होंने इस अवसर पर पांच परिवर्तन लाने का आह्वान किया।

15 दिवसीय शिक्षण वर्ग शुरू

राष्ट्र सेविका समिति, ओडिशा प्रांत की ओर से आयोजित इस 15 दिवसीय शिक्षण वर्ग इस वर्ष 17 मई से शुरू होकर 2 जून तक आयोजित किया गया। यह शिक्षण वर्ग भुवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति के कार्यालय में सम्पन्न हुआ।

इस प्रशिक्षण शिविर में प्रांत के 22 जिलों से कुल 133 शिक्षार्थिनियों ने भाग लिया। वर्ग में कुल 12 शिक्षिकाओं ने शिक्षण प्रदान किया, साथ ही अखिल भारतीय स्तर की 4 अधिकारी एवं प्रांतीय स्तर की 10 अधिकारियों ने भाग लेकर बौद्धिक रूप से मार्गदर्शन किया। 30 से अधिक प्रबंधक बहनों के सहयोग से यह वर्ग सुचारुरुप से संपन्न हुआ।

इस वर्ग में शामिल शिक्षार्थिनियों के लिए शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक विकास को ध्यान में रखकर वर्ग में पाठ्यक्रम तैयार किये गये थे। शारीरिक कौशल के लिए योगासन, दंड, नियुद्ध संबंधी शिक्षा प्रदान की गई। बौद्धिक में राष्ट्रीय स्वाभिमान, राष्ट्र, परंपरा, अस्मिता, देश भक्ति आदि विषय लिये गये।

भव्य पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित

वर्ग के दौरान 31 मई को भुवनेश्वर शहर में एक भव्य पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह पथ संचलन राम मंदिर से प्रारंभ होकर अशोक नगर होते हुए खारबेल नगर शिशु मंदिर पर समाप्त हुआ।

समिति की प्रांत कार्यवाहिका भारती बैशाख, सह कार्यवाहिका डा कविता रथ व बैजयंती राणा व अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थीं।

इस आयोजन का उद्देश्य सेविका समिति की कार्यकर्ता बहनों को वैचारिक, सामाजिक और संगठनात्मक रूप से सशक्त बनाना रहा, जिससे वे अपने क्षेत्रों में प्रभावी नेतृत्व कर सकें।

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