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विक्रमादित्य सिंह ने इस जिम्मेदारी के लिए विश्व हिंदी परिषद के प्रति आभार जताया
नई दिल्ली। हिंदी भाषा के लोकप्रिय कवि विक्रमादित्य सिंह को विश्व हिंदी परिषद, ओडिशा के अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। परिषद द्वारा यह आशा व्यक्त किया गया है कि सिंह विश्व हिंदी परिषद के मूल उद्देश्यों को आगे बढ़ाएंगे और आने वाले कल में हिंदी भाषा को जन-जन तक एवं देश-विदेश में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे। ज्ञात हो कि परिषद का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करना है।
डॉ विपिन कुमार, महान स्तंभकार एवं विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव, डीपी मिश्र, डॉ नंदकिशोर साह, राष्ट्रीय संपर्क समन्वयक एवं सुश्री संगीता बनाफर ने सिंह को इस बड़े दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। विश्व हिंदी परिषद, हिंदी के प्रचार-प्रसार की सेवा में एक वैश्विक संस्था है। सर्व कल्याण, सर्व मंगल की कामना से यह संस्थान कई देशों में गतिशील है ओर अपने उद्देश्यों के प्रति वचनबद्ध है।
विक्रमादित्य सिंह, वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी, भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं। सिंह पिछले 20 वर्षों से हिंदी की सेवा में, हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्ती भूमिका निभा रहें हैं। कविता, कहानी, लेख के लिए अभी तक इनको 20 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
सम-सामयिक विषयों पर इनकी कविता, कहानी, लेख, यात्रा -वृत्तांत, पुस्तक समीक्षा देश के विभिन्न अखबारों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है। देश के विभिन्न मंचों पर अपनी काव्य प्रस्तुति दे चुके हैं। दूरदर्शन ओड़िया टीवी एवं दूरदर्शन बिहार पर हास्य कवि सम्मेलन एवं हिंदी के रंग कवियों के संग में कवि के साथ-साथ मंच संचालक की दोहरी भूमिका निभा चुके हैं। इनकी दो पुस्तकें “पुकार सुनो” एवं “आधे-अधूरे हम-तुम” प्रकाशित हो चुका है। इनकी दूसरी पुस्तक “आधे-अधूरे हम-तुम” एक गजल संग्रह है जिसे पाठको द्वारा काफी पसंद किया गया। मुख्य रूप से प्रेम, श्रृंगार एवं विरह पर, मुक्तक एवं ग़जल लिखना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन देशभक्ति एक ऐसा जज्बा है जो प्रत्येक भारतीय के सीने में धड़कता है, इसलिए इनकी कविताओं में देशभक्ति भी देखने को मिलती है।
विक्रमादित्य सिंह को विश्व हिंदी परिषद के ओडिशा प्रांत के अध्यक्ष मनोनीत किये जाने पर अनेक पत्रकार, साहित्यकार एवं समाजसेवी ने शुभकामनाएं एवं बधाई दी है।
विक्रमादित्य सिंह ने इस जिम्मेदारी के लिए विश्व हिंदी परिषद के प्रति आभार जताया है और कहा कि वह उम्मीद को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।