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अब नहीं मिलेंगी अनावश्यक तारीखें
भुवनेश्वर। ओडिशा में वर्षों से लंबित पड़े आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए राज्य सरकार ने लोक अभियोजकों (पीपी) और अतिरिक्त लोक अभियोजकों (एपीपी) के लिए एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) लागू की है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी लाना और अनावश्यक स्थगनों पर रोक लगाना है।
मार्च में विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, राज्य की विभिन्न अदालतों में कुल 20,87,347 मामले लंबित हैं, जिनमें उच्च न्यायालय के भी कई मामले शामिल हैं। सरकार ने माना है कि अधिवक्ताओं द्वारा बार-बार की जाने वाली तारीखों की मांग, गवाहों की अनुपस्थिति और जांच अधिकारियों की गैरमौजूदगी, मामलों में देरी के मुख्य कारण हैं।
नई एसओपी की प्रमुख बातें:
- केवल दो बार मिल सकेगा स्थगन: अब किसी भी मामले में अधिकतम दो बार ही तारीख टाली जा सकेगी। उसके बाद बिना ठोस कारण के स्थगन को अनुमति नहीं दी जाएगी।
- गवाह मौजूद होने पर टालने की अनुमति नहीं: यदि गवाह अदालत में उपस्थित हैं और बचाव पक्ष तैयार नहीं है, तो अदालत गवाही दर्ज करने और जिरह की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकेगी।
- दूसरे मामलों में व्यस्त होने का बहाना नहीं चलेगा: अब अभियोजकों द्वारा दूसरे न्यायालयों में व्यस्त होने का हवाला देकर सुनवाई टालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- अकारण देरी पर आर्थिक दंड: यदि देरी के पीछे कोई वैध कारण नहीं पाया गया तो अभियोजन पक्ष या बचाव पक्ष — दोनों में से किसी पर भी वित्तीय दंड लगाया जा सकता है।
- मासिक रिपोर्ट अनिवार्य: अभियोजकों को अब हर महीने मामलों की प्रगति रिपोर्ट, स्थगनों की संख्या, देरी के कारण और न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन रिपोर्ट करना होगा।
निगरानी और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी तय
गृह विभाग द्वारा जारी इस एसओपी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी लोक अभियोजकों को प्रशिक्षण और जागरूकता सत्रों से गुजरना होगा। लोक अभियोजन निदेशक (डीपीपी) नियमित रूप से इस एसओपी के पालन की समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इसकी भावना के अनुसार कार्य हो।
सरकार और विधि विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं
विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने के समान है। न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी ज़रूरी है। एसओपी लागू करने से पहले गृह, विधि और सामान्य प्रशासन विभागों के बीच विस्तार से चर्चा हुई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता सौर चंद्र महापात्र ने कहा कि यह पाया गया है कि अनावश्यक स्थगनों की वजह से निर्णयों में देरी हो रही है। यदि बचाव पक्ष बिना उचित कारण के स्थगन की मांग करता है, तो उसका विरोध किया जाना चाहिए। एसओपी का उद्देश्य अदालतों में मामलों का शीघ्र निपटारा करना है।
एसओपी का सख्ती से पालन जरूरी
ओडिशा सरकार का यह प्रयास तेज, पारदर्शी और जवाबदेह न्याय प्रक्रिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यदि एसओपी का सख्ती से पालन किया गया, तो इससे न्यायिक व्यवस्था में आम जनता का विश्वास बहाल होने के साथ-साथ लाखों लंबित मामलों का निपटारा तेज़ी से हो सकता है।