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ओडिशा में भ्रष्टाचार पर सरकार का कड़ा प्रहार

  • खुली छूट के बाद सतर्कता विभाग ने अभियान तेज किया

  • नई रणनीति के तहत छापेमारी की संख्या बढ़ी

भुवनेश्वर। ओडिशा में मोहन माझी की सरकार ने कड़ा प्रहार करना शुरू कर दिया है। ओडिशा सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अपनी रणनीति को पूरी तरह से बदलते हुए कार्रवाई की गति और सख्ती दोनों बढ़ा दी है। हाल के दिनों में विभाग लगातार कई उच्च अधिकारियों पर रिटायरमेंट के ठीक पहले या उसी दिन छापे मारकर बड़ी सफलता हासिल कर रहा है। यह रणनीतिक बदलाव राज्य में भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट लगाने की सरकार की गंभीर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सतर्कता निदेशक यशवंत जेठवा ने शनिवार को पुष्टि की कि विभाग ने अपनी जांच और छापेमारी की रणनीति को अपडेट किया है। अब लक्षित खुफिया जानकारी, पूर्व-छापेमारी निगरानी और वास्तविक समय में संपत्ति जांच को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे कार्रवाई की सटीकता और प्रभावशीलता में काफी सुधार हुआ है।

इस नई रणनीति के तहत हाल ही में आरडब्ल्यू मुख्य अभियंता बैकुंठ नाथ षाड़ंगी को रिटायरमेंट के एक दिन पहले गिरफ्तार किया गया, जिन पर करोड़ों रुपये की अनुपातहीन संपत्ति रखने का आरोप है। इस कार्रवाई से यह साफ संदेश गया कि रिटायरमेंट भ्रष्टाचार से बचने की ढाल नहीं होगी।

सतर्कता विभाग का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में रिटायरमेंट के पहले या बाद का कोई भेद नहीं होता, मुख्य बात यह है कि सरकारी सेवा के दौरान भ्रष्टाचार किया गया हो और संपत्ति इकट्ठा की गई हो।

भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस

निदेशक जेठवा ने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और विभाग पारदर्शिता और विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बड़े सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और कल्याण निधियों से जुड़े विभागों में इसी तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

सख्त रुख से कई विभागों में हड़कंप मचा

इस सख्त रुख के कारण सरकार के कई विभागों में हड़कंप मचा हुआ है, खासकर वे अधिकारी जो रिटायरमेंट के करीब हैं, वे अब सतर्कता की कड़ी निगरानी में हैं। आम जनता ने इस पहल का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि सतर्कता भ्रष्ट अधिकारियों को उनकी पद-प्रतिष्ठा या सेवा अवधि की परवाह किए बिना जवाबदेह बनाएगी।

तकनीकी और विशेषज्ञता से सशक्त बन रही सतर्कता

जेठवा ने बताया कि विभाग तकनीक के माध्यम से अनुपातहीन संपत्ति का पता लगाने, डिजिटल सबूत जुटाने और जांच क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है। सरकार ने सतर्कता के लिए उन्नत फोरेंसिक विज्ञान इकाई स्थापित करने की मंजूरी भी दी है।

सरकार ने विशेषज्ञ जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट, कानूनी और साइबर विशेषज्ञों की नियुक्ति को भी मंजूरी दी है, जिससे संपत्ति छुपाने वालों का पता लगाना आसान होगा, चाहे वे भौतिक, बेनामी या डिजिटल माध्यम से छुपाएं।

इंजीनियर अधिकारियों पर क्यों बढ़ा सख्त पहरा?

सतर्कता अधिकारी ने बताया कि विभाग उन पदों और परियोजनाओं पर विशेष नजर रख रहा है जहां भ्रष्टाचार की संभावना अधिक है। जहां अधिक सरकारी धन और लेन-देन होता है, वहां सतर्कता की नजर कड़ी रहती है। ओडिशा सतर्कता विभाग का दोषसिद्धि दर लगभग 50 प्रतिशत है, जबकि अनुपातहीन संपत्ति मामलों में यह 80 प्रतिशत तक है, जो देश के अन्य विभागों से बेहतर है।

जिम्मेदारियां निभाने में पूरी छूट मिली

वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सतर्कता विभाग को अपनी जिम्मेदारियां स्वतंत्र और पेशेवर तरीके से निभाने में पूरी छूट मिली है। पिछले साल विभाग ने 213 मामले दर्ज किए, जिनमें से 60 अनुपातहीन संपत्ति के थे। इन मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों को टारगेट किया गया और प्रभावी कार्रवाई की गई। ओडिशा सतर्कता विभाग की यह नई कार्यप्रणाली भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश है कि अब कोई भी अधिकारी अपने पद का गलत फायदा नहीं उठा सकेगा।

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