भुवनेश्वर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर चितन रघुवंशी को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें शुक्रवार को विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पांच करोड़ की मांग, दो करोड़ में तय हुई ‘डील’
सीबीआई के अनुसार, आईआरएस के 2013 बैच के अधिकारी रघुवंशी ने भुवनेश्वर के व्यवसायी रतिकांत राउत से ईडी की जांच में राहत देने के लिए पांच करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। बाद में बातचीत के दौरान यह रकम घटाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई और पहले किश्त के रूप में 50 लाख रुपये गुरुवार शाम तक देने की बात तय हुई।
सीबीआई ने बिछाया जाल, रंगे हाथों गिरफ्तार
रतिकांत राउत की शिकायत पर सीबीआई ने भुवनेश्वर में जाल बिछाया। जब राउत ने गुरुवार को 20 लाख रुपये की पहली राशि एक बिचौलिए को सौंपी, तभी सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए बिचौलिए को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद चितन रघुवंशी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
अदालत में पेशी और आगे की सुनवाई
रघुवंशी को शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। रघुवंशी के वकील सिद्धांत मोहंती ने बताया कि अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मोहंती ने कहा कि उनकी ज़मानत याचिका खारिज नहीं हुई है, उस पर 4 जून को सुनवाई होगी।
ईडी की जांच और दबाव की कहानी
रतिकांत राउत, जो ढेंकानाल में पत्थर क्रशर और खनन व्यवसाय से जुड़े हैं, उन पर ईडी ने 2020 में मामला दर्ज किया था। जनवरी में उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और मार्च में पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
राउत का आरोप है कि ईडी दफ्तर में पूछताछ के दौरान रघुवंशी ने उन्हें अपने चैम्बर में बुलाकर “भगती” नामक व्यक्ति से मिलने को कहा, जो उन्हें केस से राहत दिलवाएगा। इसके बाद भगती ने राउत से फेसटाइम कॉल पर बार-बार दबाव बनाना शुरू किया और मई 27 को व्यक्तिगत मुलाकात में कहा कि अस्पताल को अटैच करने और गिरफ्तारी से बचाने के लिए रघुवंशी को 5 करोड़ देने होंगे।
जब राउत ने असमर्थता जताई, तो राशि घटाकर 2 करोड़ की गई और 50 लाख की पहली किश्त गुरुवार को देने को कहा गया।