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किशोरी ने बदली शक्ल-सूरत, फुफकारी और रेंगने लगी ज़मीन पर
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सांप पर डंडा पड़ते ही खुद को घायल बताया
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लोगों में फैली दहशत और अंधविश्वास की बहस तेज
बारिपदा। ओडिशा के मयूरभंज जिले के उदला इलाके में एक अद्भुत और हैरतअंगेज़ घटना ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी है। जब एक ज़हरीला साँप घर में घुसा तो उसे पकड़ने की कोशिश के बीच, घर की एक किशोरी ने अचानक नागिन की तरह जमीन पर रेंगना शुरू कर दिया, फुफकारने लगी और बार-बार ये कहती रही कि उसे मारना बंद करो। उसका यह विचित्र व्यवहार देखकर आसपास के लोग दंग रह गए और पुरानी मान्यताएं फिर से जाग उठीं। यह घटना स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ा रहस्य और चर्चा का विषय बन गई है।
घटना तब शुरू हुई जब एक ज़हरीला कोबरा एक घर में घुस आया और स्नेक हेल्पलाइन को सूचना दी गई। जब सांप को पकड़ने के लिए रेस्क्यू टीम पहुंची, तो घर की बेटी अचानक ज़मीन पर गिर गई और सांप की तरह रेंगने लगी।
गवाहों के अनुसार, वह बार-बार फुफकारने लगी, रोते हुए कहने लगी कि “मुझे मत मारो”, “मैंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया”, “मुझे मत ले जाओ”। उसका यह व्यवहार देख मौजूद लोग हैरान और भयभीत हो गए।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
परिवारवालों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब लड़की ने ऐसी हरकतें की हों। इससे पहले नाग पंचमी और बसंत पंचमी जैसे धार्मिक अवसरों पर भी वह इसी तरह की गतिविधियां कर चुकी है।
सांप को मारने पर लड़की के शरीर पर मारपीट के निशान
परिजनों के अनुसार, जब भी घर में किसी सांप को मारा जाता है या हमला होता है, तो लड़की के शरीर पर सांप जैसे निशान या मारपीट के निशान उभर आते हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि कुछ दिन पहले घर में एक सांप पर डंडा मारा गया था। उसी दिन से लड़की के शरीर पर चोट के निशान दिखने लगे। लोग इसे दैवी प्रकोप या किसी शक्ति का असर मान रहे हैं।
पिता बोले– मंदिर ले जाएंगे
लड़की के पिता ने कहा कि वह अचानक ज़मीन पर गिर पड़ी और सांप को घर से निकालने नहीं दे रही थी। अब हम उसे स्थानीय मंदिर ले जाकर शांति पाठ और समाधान की कोशिश करेंगे।
हालांकि खबर है कि अब तक लड़की की किसी डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जांच नहीं कराई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक कारणों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
हालांकि, ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाएं अक्सर अंधविश्वास और आध्यात्मिक मान्यताओं से जोड़ दी जाती हैं, जिससे वैज्ञानिक जांच पीछे छूट जाती है।