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सुंदरगढ़ में विस्फोटक लूट की जांच के लिए एसआईटी गठित

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर है मामला

  • एनआईए और ओडिशा पुलिस की संयुक्त जांच शुरू

भुवनेश्वर। ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में माओवादियों द्वारा किए गए विस्फोटक लूट के गंभीर मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने शुक्रवार को एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। यह कदम उस दिन के ठीक बाद उठाया गया है, जब इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया था।

एसआईटी की कमान एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है। टीम में कुल चार सदस्य होंगे। सुंदरगढ़ के पुलिस अधीक्षक नितेश वाधवानी ने इसकी पुष्टि की है। यह टीम घटना की सभी कोणों से जांच करेगी, जिसमें सुरक्षा चूक, संलिप्त व्यक्तियों की पहचान और माओवादी नेटवर्क की भूमिका को खंगालना शामिल है।

यह घटना मंगलवार को सामने आई थी जब माओवादियों ने एक ट्रक को रास्ते में रोका और भारी मात्रा में वाणिज्यिक विस्फोटक लूट लिये। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह ट्रक बांको क्षेत्र स्थित एक पत्थर खदान की ओर जा रहा था, जिसे जंगल क्षेत्र के पास रोककर लूट लिया गया।

सूत्रों के अनुसार, माओवादी चार टन विस्फोटक सामग्री लेकर फरार हो गए, जो कि के. बलांग थाना क्षेत्र के अंतर्गत लूटी गई। इन विस्फोटकों में लगभग 200 पैकेट जिलेटिन स्टिक शामिल हैं। अब तक सुरक्षाबलों को लूटी गई सामग्री बरामद करने में सफलता नहीं मिली है।

सीमा सुरक्षा और अंतर-राज्यीय समन्वय

घटना के बाद राज्य की खुफिया एजेंसियों ने पश्चिम बंगाल और झारखंड की एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर सीमा क्षेत्रों पर चौकसी बढ़ा दी है। झारखंड सीमा को सील कर दिया गया है और बड़े स्तर पर सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है, ताकि लूटी गई विस्फोटक सामग्री को दूसरे राज्यों में पहुंचने से रोका जा सके।

एनआईए भी कर रही गहराई से जांच

एनआईए ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अपनी जांच प्रक्रिया आरंभ कर दी है। वह राज्य पुलिस के साथ मिलकर कार्य कर रही है ताकि लूट की गई सामग्री को जल्द से जल्द बरामद किया जा सके और माओवादी नेटवर्क की कमर तोड़ी जा सके।

सुरक्षा एजेंसियों में चिंता का माहौल

खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि यह लूटी गई विस्फोटक सामग्री, जो माओवादियों के हाथ लगी है, आने वाले समय में बड़े हमलों के लिए उपयोग की जा सकती है। झारखंड में जहां माओवादी फिलहाल बैकफुट पर हैं, ऐसे में यह घटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बन गई है।

सरकार की ओर से स्पष्ट संदेश है कि इस मामले को केवल आपराधिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। एसआईटी और एनआईए की संयुक्त कार्रवाई इस दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।

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