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अब 42 वर्ष तक के अभ्यर्थी पा सकेंगे मौका
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आरक्षित वर्गों को अतिरिक्त छूट
भुवनेश्वर। सरकारी सेवा की तैयारी कर रहे ओडिशा के युवाओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने ओडिशा सिविल सेवा में भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को 32 वर्ष से बढ़ाकर 42 वर्ष कर दिया है। यह फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने की।
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि यह निर्णय ओडिशा सिविल सेवा (ऊपरी आयु सीमा निर्धारण) नियम, 1989 के तहत लिया गया है, जिसके नियम-2 के तहत अब तक अधिकतम आयु सीमा 32 वर्ष थी, लेकिन विभिन्न वर्गों से लगातार आयु सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही थी, ताकि उम्र पार कर चुके योग्य अभ्यर्थियों को सरकारी सेवा में प्रवेश का अवसर मिल सके।
इस संशोधन के बाद अब सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी भी 42 वर्ष की आयु तक ओडिशा सिविल सेवा की परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे बड़ी संख्या में ऐसे युवाओं को फिर से एक अवसर मिलेगा, जो अब तक आयु सीमा के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं से बाहर हो जाते थे।
एसटी, एससी, एसईबीसी, महिलाएं, पूर्व सैनिक और दिव्यांगों को और छूट
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी), महिलाएं, पूर्व सैनिक और दिव्यांग उम्मीदवारों को नियमानुसार अधिकतम आयु सीमा में अतिरिक्त छूट मिलती रहेगी। इस तरह, कुछ वर्गों के लिए ऊपरी आयु सीमा 45 से 47 वर्ष तक जा सकती है।
यूनिफॉर्म्ड सेवाओं में नहीं मिलेगी बढ़ी आयु सीमा का लाभ
हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नई अधिकतम आयु सीमा पुलिस, अग्निशमन, वन और आबकारी विभाग जैसी यूनिफॉर्म्ड सेवाओं पर लागू नहीं होगी। इसके अलावा, जहां पहले से ही किसी पद के लिए अधिक ऊपरी आयु सीमा निर्धारित है, वहां यह नियम लागू नहीं होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
राज्य सरकार को लंबे समय से विभिन्न संगठनों, छात्र समूहों और नौकरी के इच्छुक युवाओं से यह मांग मिल रही थी कि कोविड-19 महामारी और अन्य कारणों से परीक्षा में देरी हुई है, जिससे कई अभ्यर्थी आयु सीमा पार कर गए। इसीलिए उन्हें एक आखिरी मौका देने की दृष्टि से यह फैसला लिया गया है।
सरकारी नौकरी के इच्छुक युवाओं में खुशी की लहर
राज्य सरकार के इस फैसले से ओडिशा के हजारों युवाओं को नई उम्मीद मिली है। वे अब पुनः परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं और सरकारी सेवा में अपना भविष्य बना सकते हैं। यह निर्णय न केवल सरकार की युवा और रोजगारोन्मुख सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार युवाओं की मांगों के प्रति संवेदनशील है।