Home / Odisha / पाटनागढ़ पार्सल बम कांड के दोषी को उम्रकैद की सजा

पाटनागढ़ पार्सल बम कांड के दोषी को उम्रकैद की सजा

  • पूं‍जीलाल मेहेर पर अदालत ने 50 हजार रुपये जुर्माना भी ठोका

  • सात साल पुराने दर्दनाक मामले में आया फैसला

  • दो लोगों की मौत और एक नवविवाहिता की जिंदगी हुई थी तबाह

बलांगीर। जिले के पाटनागढ़ में बहुचर्चित पार्सल बम मामले में आज अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपी पूं‍जीलाल मेहेर को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला उस दिल दहला देने वाली घटना के सात साल बाद आया है, जिसने 2018 में पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था और पाटनागढ़ कस्बे को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया था।

23 फरवरी 2018 को 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्यशेखर साहू और उनकी नवविवाहित पत्नी रीमा रानी ने शादी के बाद अपने जीवन की नई शुरुआत की थी। उसी दिन उनके घर भोलनाथपाड़ा में एक पार्सल पहुंचा, जिसे वे विवाह उपहार समझ बैठे। जब सौम्यशेखर ने उस पैकेट को खोला, तो उसमें लगे शक्तिशाली बम में जबरदस्त विस्फोट हुआ।

इस धमाके में सौम्यशेखर और उनकी 85 वर्षीय दादी जेमामणि साहू की मौके पर ही मौत हो गई। रीमा, जो उसी कमरे में उनके पास बैठी थीं, गंभीर रूप से घायल हो गईं और आज भी शारीरिक और मानसिक रूप से उस घटना के प्रभाव से उबर नहीं पाई हैं।

मां का गुस्सा बेटी पर उतारा

इस जघन्य हमले की जांच ने पुलिस को पाटनागढ़ के ज्योति विकास कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और अंग्रेज़ी व्याख्याता पूं‍जीलाल मेहेर तक पहुंचाया। उल्लेखनीय है कि सौम्यशेखर की मां संजुक्ता साहू ने उसी कॉलेज में पूं‍जीलाल की जगह प्राचार्य का पद संभाला था। पुलिस के अनुसार, पद की हानि से बौखलाए पूं‍जीलाल ने बदला लेने के इरादे से साहू परिवार को निशाना बनाया।

महीनों इंटरनेट पर बम बनाने की विधि सीखी

पुलिस जांच में सामने आया कि पूं‍जीलाल ने महीनों तक इंटरनेट पर बम बनाने की विधि सीखी, पटाखों और रासायनिक पदार्थों की ख़रीदारी की और नकली नाम से रायपुर जाकर पार्सल भेजा, ताकि उसकी पहचान छुपी रहे।

डिजिटल सबूत, फॉरेंसिक रिपोर्ट, गवाहों की मदद से साजिश का पर्दाफाश

ओडिशा अपराध शाखा ने इस मामले की जांच में डिजिटल सबूत, फॉरेंसिक रिपोर्ट और गवाहों की मदद से पूरी साजिश का पर्दाफाश किया। उसके पास से बारूद, तार, अधजली डायरी, और कंप्यूटर डाटा जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य बरामद किए गए। अभियोजन पक्ष ने इन्हीं आधारों पर अदालत को विश्वास दिलाया कि यह हत्या पूर्वनियोजित और सुनियोजित थी।

पीड़ित परिवार ने मांगी थी फांसी

पीड़ित परिवार ने इसे “दुर्लभतम में दुर्लभ अपराध” करार देते हुए पूं‍जीलाल को फांसी की सजा की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि न्याय की प्रक्रिया में यह उपयुक्त दंड है। अदालत के फैसले से पीड़ित परिवार को वर्षों बाद कुछ राहत मिली है। रीमा रानी, जो आज भी उस दिन की भयावहता को भूल नहीं पाई हैं, के लिए यह फैसला न्याय का प्रतीक बनकर आया है। यह मामला ओडिशा के इतिहास में एक बेमिसाल आपराधिक घटना के रूप में दर्ज हो गया है, जिसमें निजी ईर्ष्या और पेशेगत अहंकार के कारण निर्दोषों की बलि चढ़ा दी गई।

Share this news

About desk

Check Also

विस्फोटक लूटने को लेकर ओडिशा-झारखंड सीमा सील

एनआईए टीम जांच में जुटी सुंदरगढ़ में माओवादियों द्वारा 4 टन विस्फोटक लूटे जाने से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *