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पुरी में बीजू जनता दल में दिखी दरार

  • प्रताप देव के आवास पर हुई अहम बैठक में प्रमुख नेताओं की रही गैरमौजूदगी

  • संगठन के भीतर मतभेदों की अटकलें हुईं तेज

पुरी। ओडिशा की सत्तारूढ़ बीजद (बीजू जनता दल) के पुरी जिले में अंदरूनी खींचतान के संकेत मिलने लगे हैं। वरिष्ठ नेता प्रताप देव के आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति ने संगठन के भीतर मतभेदों की अटकलों को और तेज कर दिया है।

प्रताप देव के निवास पर हुई इस बैठक में बीजद के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, जिनमें पुरी सांसद सुभाशीष खुंटिया, जिला अध्यक्ष उमा सामंतराय, पूर्व विधायक रूद्र महारथी समेत अनेक ब्लॉक स्तरीय नेता शामिल हुए। लेकिन बैठक में पुरी विधायक सुनील मोहंती, काकटपुर विधायक तुषारकांति बेहरा और वरिष्ठ जिला नेता संजय दासबर्मा की अनुपस्थिति ने पार्टी के भीतर संभावित मतभेदों को लेकर चर्चाएं छेड़ दी हैं।

नई अनुशासन समिति के गठन के बाद बैठक ने बढ़ाई हलचल

गौरतलब है कि महज दो दिन पहले बीजद ने अपनी नई अनुशासन समिति की घोषणा की थी। ऐसे समय में प्रताप देव के घर यह बैठक होना और उसमें कुछ प्रमुख नेताओं की गैरमौजूदगी, इसे एक साधारण बैठक से ज्यादा गंभीर राजनीतिक संकेत मानने को मजबूर कर रहा है।

बैठक का उद्देश्य जिले में संगठन की स्थिति की समीक्षा करना

पुरी के सांसद सुभाशीष खुंटिया ने कहा कि बैठक का उद्देश्य जिले में संगठन की स्थिति की समीक्षा करना था। उन्होंने बताया कि जिला अध्यक्ष की घोषणा के बाद अब सभी ब्लॉकों और शहरी निकायों के अध्यक्षों की घोषणा की जानी है। इसी को लेकर चर्चा हुई।

हालांकि, पुरी विधायक सुनील मोहंती ने बैठक को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर यह वाकई एक जिला स्तरीय बैठक थी, तो मुझे, काकटपुर विधायक तुषारकांति बेहरा और संजय दासबर्मा को जरूर बुलाया जाता। यदि यह जिला स्तर की बैठक होती, तो जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों के नेताओं की उपस्थिति अनिवार्य होती।

वहीं बीजद नेता सुधीर सामल ने अनुशासन समिति के गठन को लेकर कहा कि जब पार्टी सत्ता में होती है, तब किसी अनुशासन समिति की आवश्यकता नहीं पड़ती। उस समय सभी अनुशासन में रहते हैं। लेकिन जब पार्टी कमजोर होती है या संकट में आती है, तब अनुशासन टूटता है और समिति की जरूरत पड़ती है।

इन बयानों और घटनाओं ने पुरी जिले में बीजद के भीतर संभावित असंतोष और गुटबाजी की ओर इशारा किया है। अब सवाल उठता है कि क्या पार्टी के अंदर कोई गंभीर विभाजन शुरू हो चुका है या फिर यह केवल आंतरिक सांगठनिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

आगामी दिनों में बीजद के शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस पर क्या रुख अपनाया जाता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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