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भक्तों में छायी खुशी की लहर
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नियमों के अनुसार रथयात्रा के लिए प्रशासन तैयार
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पुरी में बिना श्रद्धालुओं की रथयात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति
नई दिल्ली/भुवनेश्वर. भक्तों की उम्मीदों के अनुसार महाप्रभु श्रीजगन्नाथ का चमत्कार देखने को मिला है. इस साल पुरी में बिना श्रद्धालुओं के भगवान जगन्नाथजी की रथयात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी प्रदान की है. इसके साथ ही कोरोना के कारण पुरी में रथयात्रा के आयोजन को लेकर आशंकाओं का पटाक्षेप हो गया है. इससे श्रद्धालुओं में खुशी छा गई है. इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि केवल पुरी में रथयात्रा को लेकर अनुमति दी जा रही है, लेकिन प्रदेश के अन्य हिस्सों में रथयात्रा नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पुरी में रथयात्रा आयोजन की जिम्मेदारी श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति व राज्य सरकार को छोड़ दिया जाए. वे कड़े प्रतिबंध के बीच बिना भक्तों के यह आयोजन करायेंगे. इस फैसला के आते ही ओडिशा में भगवान के भक्त खुशी से झूम उठे. पुरी में प्रशासन तैयारियों में जुट गया है. चूंकी फैसला विलंब से आया है, इसलिए उम्मीद है कि नीतियों में थोड़ा विलंब हो सकता है.
खबर लिखे जाने तक कल नीतियों का समय तय नहीं हो पाया था, लेकिन महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ सिंहद्वार तक पहुंच गये थे. रथयात्रा की नीतियों की शुरुआत हो चुकी है. कल सुबह महाप्रभु की मंगल आरती श्रीमंदिर में होगी. इसके बाद अवकाश होगा. फिर सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा के बाद खिचड़ी भोग महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को चढ़ाया जायेगा. इसके बाद मंगलार्पण होगा.
इसके बाद धाड़ी पहंडी में पहले सुदर्शन, उनके पीछ बलभद्र, फिर देवी सुभद्रा और अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ रथों पर विराजित होंगे. फिर मदनमोहन, रामकृष्ण श्रीमंदिर से रथों के ऊपर ले जाये जायेंगे. फिर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के रथ पर पहुंचकर सभी देवों के दर्शन करने की परंपरा है. इसके बाद गजपति महाराज के छेरा पहरा करने की परंपरा है, लेकिन कोरोना को लेकर यह सभी शंकराचार्य और गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव तय करेंगे कि वह आयेंगे या नहीं.
यदि गजपति महाराज नहीं पहुंचते हैं तो परंपरा के अनुसार उनकी अनुपस्थिति में मुदीरस्त सेवायत यह परंपरा पूरी करेंगे. इसके बाद रथों में लगी स्थायी सीढ़ियों को हटा दिया जायेगा. इसके बाद घोड़ा और सारथी को जोड़ने की परंपरा है. इसके बाद पहले बलभद्र का रथ तालध्वज, फिर देवी सुभद्रा का रथ देवी दलन और अंत में महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रथ नंदीघोष को खींचकर गुंडिचा मंदिर लाया जायेगा.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में मूल मामले के आदेश के साथ-साथ मोडिफिकेशन आवेदनों के संयुक्त रुप से सुनवाई से पूर्व राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था. इस हलफनामे में कहा गया था कि श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव के प्रस्ताव के अनुसार केवल पुरी में श्रद्धालुओं के बिना रथयात्रा आयोजन करने पर इसके लिए आवश्यकीय प्रबंध करेगी.
अगर रथयात्रा बंद होती तो 12 साल तक नहीं हो सकती थी रथयात्रा
केन्द्र सरकार की ओर से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह परंपरा शताब्दियों से ली आ रही है. इसे इस तरह से बंद नहीं किया जा सकता. यदि रथयात्रा को बंद किया जाता है तो विधि के मुताबिक आगामी 12 साल तक भगवान रथयात्रा पर नहीं निकल सकते. इसलिए पुरी में कर्फ्यु लगा कर बिना श्रद्धालुओं की रथयात्रा का आयोजन किया जाए. रथयात्रा का सीधा प्रसारण किया टीवी पर श्रद्धालुओं के लिए किया जाए.