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ओडिशा में अब सरकार खरीदेगी एससी और एसटी की जमीन

  • मजबूर के समय लूट रोकने के लिए हुआ बड़ा फैसला

  • विशेष कोष होगा तैयार

भुवनेश्वर। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों की जमीन को संपन्न और प्रभावशाली लोगों द्वारा हड़पने से बचाने के लिए ओडिशा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार अब ऐसे मामलों में स्वयं जमीन खरीदेगी, जब मूल जमीन मालिक किसी आवश्यक कारण जैसे बेटी की शादी, इलाज या शिक्षा के लिए जमीन बेचने को मजबूर हों।

सरकार इस उद्देश्य के लिए एक विशेष कोष गठित करेगी, जिससे ऐसी जमीन को सरकारी स्तर पर खरीदा जा सके और मूल जमीन मालिक को उसका उचित मूल्य दिया जा सके।

उच्चस्तरीय समिति बनी

मंत्री ने बताया कि इस योजना की निगरानी के लिए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है। इस समिति में अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ शामिल हैं।

मूल मालिक को दोबारा खरीदने का मिलेगा मौका

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि जमीन बेचने को मजबूर एससी और एसटी लोगों का शोषण न हो और उनकी जमीन उनकी ही जाति के भीतर संरक्षित रहे। सरकार यह जमीन दो से तीन वर्षों तक अपने पास रखेगी और इस अवधि में मूल मालिक को दोबारा जमीन खरीदने का अवसर दिया जाएगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते, तो जमीन की नीलामी केवल एससी और एसटी समुदाय के लोगों के बीच ही की जाएगी, ताकि सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध सुरक्षित रहें।

जमीन बिक्री में दबाव की भूमिका प्रमुख
राजस्व मंत्री ने कहा कि एससी और एसटी समुदाय के लोग केवल आपात स्थितियों में ही अपनी जमीन बेच सकते हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि प्रभावशाली और अमीर लोग उन्हें फुसलाकर या दबाव बनाकर जमीन खरीदने की कोशिश करते हैं। हमने पाया है कि ज़्यादातर मामले ऐसे होते हैं जहाँ जमीन मालिक वास्तव में बेचने के इच्छुक नहीं होते।

उन्होंने कहा कि ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम, 1960 की धारा 22 और 23 के तहत कई लोग जमीन खरीदने के लिए उप-पंजीयक कार्यालयों में आवेदन कर रहे हैं, लेकिन जांच में सामने आया है कि लगभग 85 से 90 प्रतिशत जमीन बिक्री ऐसे मामलों में हो रही है, जहाँ बेचने वाले पर कोई न कोई दबाव होता है।

विपक्ष ने उठाए सवाल, बताया राजनीतिक चाल
इस पहल पर विपक्षी दलों ने संदेह जताया है। बीजद नेता प्रमिला मलिक ने कहा, “सरकार केवल विकास परियोजनाओं के लिए जमीन खरीदती है। यह पहली बार है जब सरकार सामान्य लोगों की जमीन खरीदने की बात कर रही है। यह केवल लोगों को भ्रमित करने और सरकारी अफसरों के जरिए जमीन हथियाने की योजना है।

वहीं कांग्रेस विधायक अशोक कुमार दास ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार केवल दिखावा कर रही है। वास्तव में यह एससी और एसटी लोगों की कोई मदद नहीं करने वाली। आदिवासी तो हमेशा की तरह न्याय से वंचित रहेंगे, उनके हिस्से में तो सिर्फ आम की गुठली ही आती है।

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