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मंत्री ने वसुंधरा योजना के तहत भूमि अधिकार सुनिश्चित करने को कहा
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जिलाधिकारियों को सर्वे करने के निर्देश
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने राज्य के उन परिवारों और व्यक्तियों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है जिनके पास चार डेसीमल से कम कृषि भूमि है। यह सर्वेक्षण राज्य के सभी जिलों में द्वार-पर-द्वार जाकर किया जाएगा।
इस संबंध में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द यह सर्वे पूरा कर विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करें।
मंत्री पुजारी ने बताया कि यह पहल वसुंधरा योजना के तहत जमीन रहित और अल्प भूमि धारकों को जमीन के पट्टा (स्वामित्व दस्तावेज) प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है। सरकार का मकसद है कि जो लोग जमीन के बिना हैं या जिनके पास चार डेसीमल से भी कम भूमि है, उन्हें इस योजना के तहत लाभ मिले।
मंत्री ने कहा कि जिनके पास कोई जमीन नहीं है या जो बहुत कम जमीन के मालिक हैं, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा और वसुंधरा योजना के अंतर्गत भूमि पट्टा प्रदान किया जाएगा।
ओडिशा के राजस्व कानून और संशोधन
राज्य में वर्तमान में दो राजस्व कानून लागू हैं जिसके तहत भूमि वितरण किया जाता है। मंत्री के अनुसार, भूमि रिकॉर्ड में विसंगतियां पाई गई हैं। कुछ लाभार्थियों को विरासत के माध्यम से पांच डिसमिल तक भूमि मिली है, जबकि कई के पास एक डिसमिल से भी कम जमीन है। इसके अलावा, कई मामलों में जमीन सही वारिस के नाम पर पंजीकृत नहीं है।
इन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद 17 मई 2025 को ओडिशा भूमि निपटान नियमों में संशोधन किया गया है। संशोधन संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
जिलाधिकारियों को सर्वे पूरी करने के निर्देश
सभी जिलाधिकारियों को यह सर्वेक्षण पूरा कर इसके आधार पर रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। इस पहल से हजारों परिवारों को भूमि अधिकार मिलने में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगा, जो अब तक जमीन रहित या रिकॉर्ड में अधूरे दर्ज हैं।
सरकार का मानना है कि इस कदम से भूमिहीनों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास की मजबूत नींव तैयार होगी और वे अपने अधिकारों को बेहतर ढंग से प्राप्त कर सकेंगे।
यह पहल ओडिशा में वंचित एवं पिछड़े वर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सशक्तिकरण कदम माना जा रहा है।