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भरतपुर मामले में चार पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट

  •  आयोग की रिपोर्ट के बाद मुख्यालय ने निलंबन आदेश किया रद्द

  •  केवल थाना प्रभारी रहेंगे निलंबित

भुवनेश्वर। ओडिशा पुलिस ने सेना के एक मेजर और उनकी मंगेतर से जुड़े प्रताड़ना मामले में निलंबित किए गए चार पुलिसकर्मियों के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। यह निर्णय राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद लिया गया।
निलंबन से मुक्त किए गए पुलिसकर्मियों में उप-निरीक्षक बैशालिनी पंडा, सागरिका रथ, सलिलामयी साहू और कांस्टेबल बलराम हांसदा शामिल हैं। हालांकि, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दिनकृष्ण मिश्र के खिलाफ निलंबन आदेश प्रभावी रहेगा और उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई जारी रहेगी।
यह मामला 14 सितंबर की रात का है, जब भारतीय सेना के एक मेजर और उनकी महिला मित्र को कुछ युवकों द्वारा सड़क पर परेशान किए जाने के बाद वे शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे थे। आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाय उन्हें ही प्रताड़ित किया और महिला को बिना किसी ठोस आधार के जेल भेज दिया। इस घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समाज के सदस्यों ने इस घटना की तीखी आलोचना की थी और निष्पक्ष जांच की मांग की थी। फिलहाल, पुलिस विभाग द्वारा मामले की जांच जारी है और सभी संबंधित पक्षों से पूछताछ की जा रही है।
प्रभारी निरीक्षक पर कार्रवाई जारी
इस मामले में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दिनकृष्ण मिश्र की भूमिका संदेह के घेरे में बनी हुई है। उनके विरुद्ध निलंबन अभी भी प्रभावी है और उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार, उनके द्वारा मामले को गलत ढंग से संभालने और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित न करने को लेकर सवाल उठे हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय ने अपने बयान में कहा है कि जांच के दौरान प्राप्त तथ्यों और आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर पाया गया कि चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पर्याप्त नहीं थे। इसलिए उन्हें सेवा में पुनः बहाल किया गया है। लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
क्लीन चिट, लेकिन गहराई से जांच अभी भी जारी
हालांकि चार पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दी गई है, लेकिन मामले की गहराई से जांच अभी भी जारी है। घटनाक्रम में शामिल सभी पक्षों से पूछताछ की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड व अन्य डिजिटल साक्ष्यों की समीक्षा की जा रही है।
जांच आयोग ने सौंपी 282 पृष्ठों की रिपोर्ट
घटना के बाद राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायिक जांच और अपराध शाखा से विशेष जांच के आदेश दिए थे। पूर्व उच्च न्यायालय न्यायाधीश न्यायमूर्ति चित्तरणजन दास की अध्यक्षता में गठित न्यायिक आयोग ने इस संबंध में 282 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट मार्च माह में गृह विभाग को सौंप दी थी।
पीड़ित पक्ष को न्याय की प्रतीक्षा
हालांकि चार पुलिसकर्मियों को राहत मिल गई है, लेकिन थाना प्रभारी दिनकृष्ण मिश्र पर अभी भी कार्रवाई लंबित है। पीड़ित पक्ष को अब भी न्याय मिलने की उम्मीद है और राज्य सरकार की आगे की कार्रवाई पर निगाहें टिकी हैं।

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