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रथों का निर्माण जोरों पर, 200 कारीगर जुटे
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रथों में 26 पहिए जोड़े गए
पुरी। पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथयात्रा का आयोजन इस वर्ष 27 जून को निर्धारित है। श्रीमंदिर के तीनों प्रमुख देवता, रथों में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे, जिसे देखने और भाग लेने लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं।
पुरी के श्रीमंदिर की वार्षिक रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस पावन कार्य में कुल 200 कारीगर जुटे हैं, जिनमें से 78 महाराणा सेवायत हैं। सोमवार को हुए ‘भौंरि’ उत्सव के दौरान रथ निर्माण की प्रक्रिया में एक अहम पड़ाव पार हुआ। इस अवसर पर तीनों रथों के 26 पहिए लकड़ी के धुरों से जोड़े गए।
धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया भौंरि उत्सव
रथ निर्माण की 19वीं तिथि पर मनाए जाने वाला ‘भौंरि’ उत्सव पारंपरिक भक्ति और विधिविधान के साथ सम्पन्न हुआ। यह प्रक्रिया इस वर्ष 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया से प्रारंभ हुई थी, जो जगन्नाथ संस्कृति में अत्यंत पावन मानी जाती है।
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने जताया संतोष
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने रथ निर्माण स्थल ‘रथ खला’ का निरीक्षण किया। यह स्थान पुरी के गजपति महाराज के महल के समीप स्थित है। पाढ़ी ने कहा कि जगन्नाथ संस्कृति की अमूर्त विरासत का यह जीता-जागता स्वरूप है, जिसमें सेवकों और कारीगरों की सामूहिक भागीदारी दिखाई देती है। रथ निर्माण कार्य पूरी श्रद्धा और गति से आगे बढ़ रहा है।
तीनों रथों की अलग-अलग पहचान
भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष, भगवान बलभद्र का तालध्वज और देवी सुभद्र का दर्पदलन — तीनों रथ रथ खला में अलग-अलग स्थानों पर बनाए जा रहे हैं। भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के मुख्य सुतार बिजय महापात्र ने बताया कि सभी रथ पारंपरिक रीति से बनाए जा रहे हैं और हर चरण में पूजा की जाती है।
सुरक्षा के व्यापक प्रबंध
चूंकि यह रथयात्रा पुरी का सबसे बड़ा पर्व है, इसलिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में और भी व्यवस्थाएं की जाएंगी ताकि लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।