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चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ करेंगे मंथन
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मोदी की सीधी भागीदारी गतिरोध को तोड़ने की दिशा में साबित हो सकती है निर्णायक
भुवनेश्वर। बहुप्रतीक्षित पोलावरम परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को एक अहम उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री इस राष्ट्रीय परियोजना को लेकर सीधे चार राज्यों ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।
बैठक का उद्देश्य भूमि डूब, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास से जुड़े बढ़ते अंतर-राज्यीय तनावों के बीच सर्वमान्य समाधान खोजना है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की सीधी भागीदारी इस गतिरोध को तोड़ने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है। बैठक में चारों राज्यों के मुख्यमंत्री, उनके जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी भी बैठक में भाग लेंगे। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से अंतर-राज्यीय मतभेद दूर होंगे और परियोजना के कार्य में तेजी आएगी, जो बार-बार बाधित हो रहा है।
पोलावरम परियोजना को आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया था। हालांकि, परियोजना के निर्माण से ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमावर्ती आदिवासी आबादी प्रभावित हो रही है।
ओडिशा और छत्तीसगढ़ का आरोप है कि परियोजना से कई गांवों में जल डूब की स्थिति उत्पन्न होगी, जिससे आदिवासी परिवारों का विस्थापन होगा। इस विषय को लेकर इन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर कर रखी हैं।
अब तक नहीं बन सकी सहमति
वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई सर्वसम्मत हल नहीं निकल पाया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने प्रभावित गांवों के पास सुरक्षात्मक तटबंध बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुनर्वास और भूमि अधिग्रहण की पुख्ता प्रक्रिया की मांग पर अड़े हुए हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद पोलावरम परियोजना के कार्य में फिर से गति आई है। ऐसे में केंद्र सरकार इस राष्ट्रीय परियोजना को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर ठोस प्रयास कर रही है। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री की यह पहल चारों राज्यों को एकजुट कर पाती है या नहीं, क्योंकि इस परियोजना का भविष्य काफी हद तक इस बैठक के परिणामों पर निर्भर करेगा।