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पार्सल बम मामले में सजा का ऐलान 28 मई को

  • मुख्य आरोपी पूंजीलाल पश्चाताप में डूबा

  • पूछताछ में तोड़ा मौन, जताया पछतावा

बलांगीर। कभी भैंसा ज्योति विहार कॉलेज का सम्मानित प्रिंसिपल रहे पूंजीलाल मेहर अब पाटनागढ़ के बहुचर्चित पार्सल बम कांड में खुद अपने कृत्य पर पछता रहे हैं। करीब सात साल पुराने इस सनसनीखेज मामले में सजा का ऐलान अब 28 मई को होने वाला है।

दिल्ली से आए एक विशेषज्ञ द्वारा पूछताछ के दौरान पूंजीलाल ने पहली बार खुले तौर पर कहा कि मुझे इस काम पर गहरा पछतावा है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।

यह बयान उस व्यक्ति का है, जिस पर 28 फरवरी 2018 को एक नवविवाहित जोड़े को भेजे गए बमयुक्त पार्सल से उनकी जान लेने का आरोप है। इस घटना में सौम्यशेखर नामक युवक की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उसकी मां संजुक्ता साहू ने अपने बेटे की आंखों के सामने मृत्यु देखी।

प्रतिशोध से उपजा था विनाश

जांच के अनुसार, पूंजीलाल मेहर ने संजुक्ता साहू से अपनी नौकरी गंवाने के कारण बदले की भावना से यह खौफनाक कदम उठाया था।
संजुक्ता साहू ने कहा कि यह दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध है। ऐसे अपराध के लिए फांसी ही होनी चाहिए।

कानूनी बहस और बहस का अंत

एडीजे कोर्ट, पाटनागढ़ में अब बहस पूरी हो चुकी है और 28 मई को फैसले की तारीख तय की गई है। जहां अभियोजन पक्ष ने पूंजीलाल को दोषी ठहराने के लिए सभी साक्ष्य कोर्ट के सामने रखे हैं, वहीं बचाव पक्ष ने जांच एजेंसी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।

पूंजीलाल के वकील प्रमोद मिश्र ने कहा कि जांच एजेंसी ने पूरी तरह से निष्पक्ष जांच नहीं की। कई संदिग्धों पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

वहीं सरकारी वकील चित्तरंजन कानुनगो ने कहा कि हमने सारे परिस्थितिजन्य साक्ष्य कोर्ट में पेश किए हैं और मुझे 100% संतुष्टि है।

नजरें 28 मई पर टिकी

अब सबकी नजरें 28 मई पर टिकी हैं, जब कोर्ट यह तय करेगी कि क्या पूंजीलाल मेहर को अपने अपराध के लिए मृत्युदंड मिलेगा या न्यायालय किसी अन्य निष्कर्ष पर पहुंचेगा। यह मामला ओडिशा के कानूनी इतिहास में एक ऐसी मिसाल बन चुका है, जिसमें व्यक्तिगत प्रतिशोध ने पूरे परिवार को उजाड़ दिया।

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