दोहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आज स्वीकार किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकवाने में उनकी भूमिका केवल मददगार की थी, उन्होंने संघर्ष नहीं रुकवाया है। ट्रम्प का आज का यह बयान उनके पिछले दावों से अलग है, जिसमें वे संघर्ष विराम का श्रेय लेने का प्रयास कर रहे थे।
पिछले चार दिनों से लगातार राष्ट्रपति ट्रम्प अलग-अलग मंचों से इस बात को दोहरा रहे थे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को शांत करने में अहम भूमिका निभाई। आज ट्रम्प ने कहा कि अगर स्थिति नहीं संभाली जाती, तो ‘एक अलग तरह की मिसाइलें’ चल सकती थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके प्रयासों से यह संकट टल गया और दोनों देशों ने व्यापार की दिशा में सोचने की पहल की।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने आज कतर के अल उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैनिकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने ऐसा किया, लेकिन मैंने पिछले सप्ताह पाकिस्तान और भारत के बीच समस्या को सुलझाने में निश्चित रूप से मदद की, जो अधिक से अधिक शत्रुतापूर्ण होती जा रही थी और अचानक आपको एक अलग प्रकार की मिसाइलें दिखाई देने लगीं और हमने इसे सुलझा लिया।”
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मैं यहां से बाहर निकलूं और दो दिन बाद यह न सुनूं कि मामला फिर बिगड़ गया है… लेकिन मुझे लगता है कि अब मामला सुलझ गया है।” उन्होंने यह भी कहा, “मैं कुछ भी सुलझा सकता हूं… पर यह मामला तो हज़ार साल से चल रहा है। मैं नहीं जानता कि यह सुलझाना इतना आसान है।”
उल्लेखनीय है कि भारत पहले दिन से अमेरिका की भूमिका को अस्वीकारता आया है। भारत का कहना है कि संघर्ष विराम का अनुरोध पाकिस्तान की ओर से आया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संघर्ष विराम से जुड़े घटनाक्रम के बारे में बकायदा समयबद्ध हुए घटनाक्रम की जानकारी दी थी। प्रधानमंत्री ने भी अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में यही बात कही थी। ट्रम्प के बयानों के चलते देश की स्थानीय राजनीति में भी काफी कुछ सवाल उठने लगे थे। उनके इस उलझे बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं आई थीं।
साभार – हिस
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