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कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा कर रही है ओडिशा सरकार
भुवनेश्वर। पश्चिम बंगाल के दीघा में हाल ही में उद्घाटित जगन्नाथ मंदिर को ‘धाम’ कहे जाने पर ओडिशा सरकार ने आपत्ति जताई है और अब इस विषय पर कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है।
ओडिशा के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि इस मुद्दे पर कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा की जा रही है और जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है। ‘धाम’ शब्द के प्रयोग को लेकर कानूनी विकल्पों की समीक्षा की जा रही है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 6 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि दीघा स्थित जगन्नाथ मंदिर को ‘धाम’ न कहा जाए।
ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को दीघा में नवनिर्मित मंदिर का उद्घाटन किया था और उसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहा था, जिससे ओडिशा में भारी विरोध शुरू हो गया।
मुख्यमंत्री के पत्र को 10 दिन बीत जाने के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
ओडिशा सरकार और दो शंकराचार्यों का यह स्पष्ट मत है कि केवल पुरी का बारहवीं शताब्दी का श्रीमंदिर ही ‘धाम’ कहलाने का अधिकार रखता है।
इससे पहले पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब, जो कि श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने भी दीघा के मंदिर को ‘धाम’ कहे जाने का कड़ा विरोध जताया था।
सरकार का कहना है कि श्रीजगन्नाथ का ‘धाम’ पुरी ही है, और इस पर कोई भ्रम या विवाद नहीं होना चाहिए।
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