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ओडिशा में एसपी रैंक के अधिकारी ही करेंगे मॉब लिंचिंग, आतंकवाद की जांच

  • राज्य सरकार ने लिया बड़ा निर्णय

  • इलेक्ट्रॉनिक मोड में जांच और न्याय प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में उठाए जाएंगे कई कदम

  • मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने की घोषणा

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने राज्य में अपराधों की जांच में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने एसपी रैंक के अधिकारियों को ही भीड़ हत्या, आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे गंभीर मामलों की जांच का जिम्मा सौंपने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसपी रैंक से नीचे के अधिकारी इन मामलों की निगरानी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन मामलों की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए उच्च स्तर की निगरानी की आवश्यकता है।

यह घोषणा राज्य में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के प्रभावी कार्यान्वयन की समीक्षा के दौरान की गई। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ज़ीरो एफआईआर के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि ई-एफआईआर, ई-समन्स और ई-साक्ष्य जैसे डिजिटल उपायों को न्याय प्रक्रिया को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाने के लिए लागू किया जाना चाहिए।

पुलिस अधिकारियों को निर्देश

मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि ज़ीरो एफआईआर को बिना किसी सवाल-जवाब के स्वीकार किया जाए, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो। उन्होंने डीजीपी य बी खुरानिया को आदेश दिया कि जो पुलिस अधिकारी ज़ीरो एफआईआर दर्ज करने से मना करेंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई, जिसमें निलंबन भी शामिल है, की जाए।

डिजिटल प्रक्रिया और वीडियो कांफ्रेंसिंग

मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि जेलों, अस्पतालों, फोरेंसिक लैब्स और न्यायालयों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा जाए ताकि गवाह अपनी जगह से सबूत पेश कर सकें। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक मोड में जांच और न्याय प्रक्रिया को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

फोरेंसिक क्षमताओं में वृद्धि

राज्य में पुलिस की फोरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने 32 उन्नत मोबाइल फोरेंसिक वाहनों की तैनाती की घोषणा की, जो जांच प्रक्रिया को और सशक्त करेंगे। इसके अलावा, फोरेंसिक और साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए 247 नए पदों की सृजन भी किया गया है।

नए कानूनों पर प्रशिक्षण और प्रणाली में सुधार

मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि 98% से अधिक पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को नए आपराधिक कानूनों पर प्रशिक्षण दिया गया है और न्याय प्रक्रिया में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, जेल विभाग के कर्मचारियों को नए कानूनों पर प्रशिक्षित किया गया है, और जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, प्रोसीक्यूशन विभाग में 267 नए पदों का सृजन किया गया है।

न्याय वितरण प्रक्रिया की सुदृढ़ीकरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सभी न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाएं अपनी कार्यप्रणाली को सही तरीके से लागू करती हैं, तो न्याय त्वरित और समान रूप से सब तक पहुंचेगा। इस दिशा में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे ओडिशा में न्याय प्रणाली और अधिक प्रभावी होगी।

यह बैठक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, संसदीय मामलों और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री डॉ. मुकेश महालिंग, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रकाश मिश्र, मुख्य सचिव मनोज आहूजा, विकास आयुक्त अनु गर्ग, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्यब्रत साहू और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुई। मुख्यमंत्री की इस पहल से ओडिशा की न्याय प्रणाली में सुधार की नई राह खुलने की उम्मीद है, जो भविष्य में अपराधों की त्वरित जांच और निष्पक्ष न्याय दिलाने में मदद करेगा।

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