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नवीन पटनायक पीएसी के अध्यक्ष
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बबी दास, विक्रम केशरी आरुख, संजय दासबर्मा, टुकुनी साहू, सुदाम मरांडी और सस्मित पात्र शामिल
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भीतर ही भीतर असंतोष की चिंगारी
भुवनेश्वर। बीजू जनता दल (बीजद) ने संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए 25 साल पुरानी रणनीति को दोहराते हुए पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) का गठन किया है। पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक ने खुद इस समिति की कमान संभाली है। हालांकि इस कदम को संगठनात्मक मजबूती के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन पार्टी के अंदर ही अंदर असंतोष की लहर उठने लगी है।
पीएसी में शामिल किए गए नौ सदस्यों में से छह नेता हाल ही में हुए 2024 विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। इनमें बबी दास, विक्रम केशरी आरुख, संजय दासबर्मा, टुकुनी साहू, सुदाम मरांडी और सस्मित पात्र शामिल हैं। इसके अलावा कॉरपोरेट पृष्ठभूमि से आने वाले और चुनाव से ठीक पहले बीजद में शामिल हुए संत्रुप्त मिश्र को भी पीएसी में जगह दी गई है।
वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा से नाराजगी
इन नियुक्तियों ने पार्टी के कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं को नाराज कर दिया है। पूर्व मंत्री बद्री नारायण पात्र ने पीएसी के गठन पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि जो पार्टी की अच्छी किताबों में हैं, उन्हें ही जगह मिलती है। चयन का पैमाना क्या है, यह समझ से परे है।
पांडियन के वफादार टीम में
वहीं कई नेता मानते हैं कि यह पूरी कवायद बीजद के पूर्व रणनीतिकार और अब सबसे प्रभावशाली माने जा रहे वीके पांडियन के प्रभाव में की गई है। उनका आरोप है कि पीएसी में ऐसे चेहरों को शामिल किया गया है जो पांडियन के वफादार माने जाते हैं, जबकि पार्टी के पुराने और संघर्षशील नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।
असंतोष की सूची लंबी
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता जैसे प्रसन्न आचार्य, बद्री नारायण पात्र, रमेश च्याउ पटनायक और अरुण साहू को पीएसी से हटाकर किसान प्रकोष्ठ, शिक्षा प्रकोष्ठ और ओबीसी सेल जैसी इकाइयों में जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन जिन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से वीके पांडियन की भूमिका पर सवाल उठाए थे, भूपिंदर सिंह, शशिभूषण बेहरा, प्रफुल्ल मलिक और नृसिंह साहू, उन्हें पूरी तरह से बाहर कर दिया गया है।
सत्ता समीकरण बदलने की कोशिश?
बीजद विधायक देवी रंजन त्रिपाठी ने हालांकि पीएसी की रचना का स्वागत करते हुए कहा कि नवीन बाबू ने एक संतुलित टीम बनाई है। नवीन बाबू और बांकी की जनता के आशीर्वाद से मुझे दो बार सेवा का अवसर मिला। पार्टी नेतृत्व पर हमें भरोसा है।
पटनायक की रणनीति — नियंत्रण और संदेश दोनों
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खुद नवीन पटनायक द्वारा पीएसी का नेतृत्व करना इस बात का संकेत है कि वे अब पार्टी की रणनीतिक दिशा पर सीधा नियंत्रण रखना चाहते हैं। इससे एक ओर जहां पार्टी को अनुशासन में रखने की कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी ओर यह कदम आंतरिक विरोध को और गहरा कर सकता है।
आने वाले दिनों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर निगाहें
बीजद जल्द ही अपने जिला अध्यक्षों, छात्र, महिला और युवा विंग के प्रमुखों की भी घोषणा करने वाली है। ऐसे में पीएसी में की गई नियुक्तियों को लेकर पैदा हुआ असंतोष अगर बढ़ता है, तो यह पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को भीतर से कमजोर कर सकता है। फिलहाल बीजद में एक तनावपूर्ण शांति का माहौल है। एक ऐसा सन्नाटा जो किसी बड़े आंतरिक तूफान का संकेत दे रहा है।