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नियमों की अनदेखी पर मचा बवाल
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पहले शिल्पा शेट्टी की तस्वीर हुई थी वायरल, अब सुष्मिता सेन की
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क्या सेलिब्रिटीज के लिए अलग नियम?
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित ऐतिहासिक श्री लिंगराज मंदिर में एक बार फिर नियमों की अनदेखी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन की मंदिर परिसर के भीतर खींची गई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है।
यह तस्वीर कथित रूप से मंदिर के एक सेवायत द्वारा ली गई थी, जो बाद में ऑनलाइन शेयर कर दी गई। इसके बाद धार्मिक आस्था से जुड़े लोगों, श्रद्धालुओं और विरासत संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
परिसर में मोबाइल और कैमरे पर है सख्त रोक
गौरतलब है कि 11वीं सदी के इस संरक्षित मंदिर में मोबाइल फोन और फोटोग्राफी पर पूर्ण प्रतिबंध है।
मंदिर के कार्यपालक अधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी रुद्र प्रसाद मोहंती ने घटना को गंभीर बताया है और कहा है कि मामले को लिंगराज मंदिर ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में उठाया जाएगा।
वहीं वरिष्ठ सेवायत बिरंचि नारायण पति ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए निगरानी व्यवस्था को और कड़ा किया जाना चाहिए।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहली घटना नहीं है। अक्टूबर 2024 में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी द्वारा मंदिर में वीडियो रिकॉर्ड करने का मामला सामने आया था, जिसमें एक मंदिर अधिकारी को शोकॉज नोटिस भी जारी किया गया था।
अब दोबारा सुष्मिता सेन की तस्वीर वायरल होने पर लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्या नियम केवल आम श्रद्धालुओं के लिए हैं?
लोगों में नाराजगी, भेदभाव के आरोप
सोशल मीडिया और मंदिर के आसपास श्रद्धालुओं में सेलिब्रिटीज और वीआईपी लोगों को नियमों से छूट देने पर तीखी नाराजगी देखी जा रही है।
लोगों का कहना है कि जब आम भक्तों को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है, तो सेलिब्रिटीज के साथ यह विशेष व्यवहार क्यों?
एक स्थानीय श्रद्धालु ने कहा कि ऐसे मामलों से मंदिर की पवित्रता और नियमों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं।
एकरूपता से नियम लागू करने की मांग
अब मंदिर प्रशासन और सरकार से यह मांग उठ रही है कि सभी के लिए एक समान नियम लागू किए जाएं, चाहे वह आम श्रद्धालु हो या कोई प्रसिद्ध हस्ती।
ऐतिहासिक मंदिरों की मर्यादा बनाए रखने के लिए नियमों का सख्ती से पालन कराना ज़रूरी है, ताकि मंदिर की धार्मिक गरिमा और आध्यात्मिक शांति अक्षुण्ण बनी रहे।