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पुरी के बहिष्कार के आह्वान और ममता के बयान पर ओडिशा में गुस्सा भड़का

  •  जगन्नाथ धाम विवाद के बाद पुरी के खिलाफ रची जा रही साजिश

  • अब ओडिशा के पर्यटन को किया जा रहा है निशाना

भुवनेश्वर। पुरी के बहिष्कार के आह्वान और ममता बनर्जी के बयान से ओडिशा में लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच दीघा जगन्नाथ मंदिर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल के दीघा में एक नए जगन्नाथ मंदिर के निर्माण के बाद उसे जगन्नाथ धाम कहे जाने पर विवाद शुरू हुआ था, लेकिन अब इस मामले ने और गंभीर रूप ले लिया है। सोशल मीडिया पर पुरी का बहिष्कार करो आह्वान ट्रेंड शुरू होने से एक नई चिंता खड़ी हो गई है।

ममता के इस बयान से जगन्नाथ संस्कृति से जुड़े श्रद्धालुओं और ओडिशा के आमजन में और ज्यादा नाराजगी फैल गई है, क्योंकि उन्होंने पुरी श्रीमंदिर को सिर्फ मंदिर कह कर संबोधित किया, जबकि दीघा के नए मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ की उपाधि दी।

यह सब तब हुआ जब ओडिशा के तीर्थ नगरी पुरी, जो न केवल भगवान जगन्नाथ का मूल निवास है, बल्कि चार प्रमुख धामों में से एक है, को निशाना बनाए जाने की आशंका जताई जाने लगी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ विशेष हितधारी समूहों द्वारा एक संगठित साजिश के तहत पुरी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

जगन्नाथ संस्कृति के जानकार और सामाजिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम को केवल मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं मानते। उनका मानना है कि यह एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य ओडिशा की आध्यात्मिक धरोहर को कमजोर करना है। शुरू में सिर्फ जगन्नाथ धाम के नाम को लेकर विवाद था, लेकिन अब पुरी का बहिष्कार करो जैसा ट्रेंड सोशल मीडिया पर दिख रहा है, जो गंभीर संकेत दे रहा है।

सोशल मीडिया पर छेड़ा गया ‘डिजिटल युद्ध’

विख्यात सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने इसे लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि मैंने इस मुद्दे को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। बाद में मैंने देखा कि कुछ समूह बने हैं और कुछ फेक अकाउंट्स इस ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं। यह ओडिशा के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है।

पटनायक ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को टैग करते हुए ट्वीट किया कि पुरी का बहिष्कार ट्रेंड सोशल मीडिया पर शुरू हो गया है, जो दोनों राज्यों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश है।

पुरी केवल पर्यटन स्थल नहीं, यह आस्था का केंद्र है

पुरी श्रीमंदिर के एक वरिष्ठ सेवायत ने कहा कि पुरी कोई साधारण पर्यटन स्थल नहीं है, यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इसे छोटा करने या किसी अन्य मंदिर के साथ तुलना करना पूरी संस्कृति और परंपरा का अपमान है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयास सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक युद्ध है, जिसमें हमारी आध्यात्मिक जड़ें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

ओडिशा सरकार हुई सख्त

ओडिशा सरकार ने इस पूरे विवाद को गंभीरता से लिया है। संस्कृति और विधि विशेषज्ञों की सलाह पर मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। सरकार ने साफ किया है कि पुरी के मंदिर की परंपराएं, देव प्रतिमाएं और उनकी पूजा विधि ओडिशा की अनूठी परंपरा से जुड़ी हैं और इनका किसी भी प्रकार की नकल या उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

जागरूकता की अपील

पुरी के वरिष्ठ पुजारी, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी भी प्रकार के डिजिटल प्रचार में न फंसे और अपने विश्वास तथा परंपराओं पर अडिग रहें। उन्होंने कहा कि हमें एकजुट होकर पुरी की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता को बचाने की आवश्यकता है।

जगन्नाथ सेना का भी पलटवार

जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रियदर्शन पटनायक ने कहा कि कोई भी श्रद्धालुओं को पुरी आने से नहीं रोक सकता। नकली हमेशा नकली ही रहेगा और असली हमेशा असली। जगन्नाथ मंदिर हजारों हैं, लेकिन मूल मंदिर सिर्फ पुरी में ही है।

क्या ममता खेल रही हैं हिंदुत्व कार्ड?

माना जा रहा है कि यह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की रणनीतिक चाल हो सकती है। यह आरोप लंबे समय से लगाया जा रहा है कि ममता बनर्जी बांग्लादेशी मुस्लिमों और रोहिंग्या शरणार्थियों की समर्थक रही हैं और हिंदू संस्कृति को हानि पहुंचाने के पीछे भी उन्हीं की नीतियां रही हैं। अब वे हिंदुत्व समर्थक दिखने की कोशिश में जगन्नाथ मंदिर बनवा रही हैं।

आरोप है कि दीघा मंदिर में पूजा दैतापति परंपरा के विपरीत हुई, जबकि सब जानते हैं कि दैतापतियों को ही जगन्नाथ पूजा का अधिकार है। उन्होंने यह भी बताया कि दीघा मंदिर के उद्घाटन में कई इस्कॉन के पदाधिकारी भी शामिल थे।

भाजपा का ममता पर तीखा हमला

भाजपा नेता सुरथ बिस्वाल ने ममता बनर्जी के बयान को “राजनीतिक नाटक” बताते हुए कहा कि ममता बनर्जी हर चीज को राजनीतिक चश्मे से देखती हैं। अब वे करोड़ों जगन्नाथ भक्तों की आस्था के साथ खेल रही हैं। जब पश्चिम बंगाल सरकार ने दीघा के मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ बताया, तभी से लोगों में आक्रोश शुरू हुआ। यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

बिस्वाल ने कहा कि मंदिर बनाना किसी को मना नहीं है, लेकिन उस मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ कहना और यह दावा करना कि उसके देवताओं के निर्माण में ‘नवकलेवर’ की पवित्र लकड़ियों का प्रयोग हुआ, यह पूरी तरह आपत्तिजनक है। उन्होंने यह भी बताया कि ओडिशा सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।

भाजपा नेता ने ममता बनर्जी पर यह भी आरोप लगाया कि वे बंगाल में हिन्दुओं की रक्षा करने में विफल रही हैं और अब जगन्नाथ मंदिर के नाम पर बंगाली श्रद्धालुओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रही हैं।

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