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जगन्नाथ धाम विवाद में अब नया खतरनाक मोड़

  • ममता बनर्जी की टिप्पणी से बढ़ी आग

  • पुरी जगन्नाथ मंदिर को सिर्फ मंदिर और दीघा के मंदिर को जगन्नाथ धाम कहा

  • पुरी के बहिष्कार का आह्वान भी सोशल मीडिया पर हुआ ट्रेंड

भुवनेश्वर। ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच जगन्नाथ धाम विवाद अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। पश्चिम बंगाल के दीघा में बनाए गए नए जगन्नाथ मंदिर को जगन्नाथ धाम के रूप में प्रचारित करने से शुरू हुआ यह विवाद अब सांस्कृतिक अस्मिता, धार्मिक भावना और राजनीतिक बयानबाज़ी का ज्वालामुखी बन चुका है। सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी, लेकिन उनके बयान ने आग बुझाने के बजाय उसमें घी डालने का काम किया।

ममता बोलीं- इतना गुस्सा क्यों?
दीघा मंदिर विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि हम पुरी के मंदिर का भी सम्मान करते हैं और जगन्नाथ धाम का भी। देश में हर जगह काली मंदिर, शिव मंदिर और गुरुद्वारे हैं। फिर इस मुद्दे में इतना गुस्सा क्यों? उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा कुछ करती है तब कोई कुछ नहीं कहता, लेकिन अब जब हम कुछ करते हैं तो सवाल उठते हैं।

उनका यह बयान ओडिशावासियों की धार्मिक भावनाओं को और भड़का गया। सवाल यह नहीं है कि मंदिर कहां-कहां हैं। सवाल यह है कि क्या किसी दूसरे राज्य में भगवान जगन्नाथ के मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जा सकता है, जबकि यह नाम सदियों से पुरी की पहचान और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है?

लोगों को भड़काने का दूसरा कारण यह भी है कि ममता बनर्जी ने पुरी जगन्नाथ मंदिर को सिर्फ मंदिर कहा, जबकि दीघा के मंदिर के लिए उन्होंने जगन्नाथ धाम शब्द का प्रयोग किया।

पुरी का बहिष्कार: एक सुनियोजित साजिश?
ममता के बयान के ठीक बाद सोशल मीडिया पर पुरी का बहिष्कार करो जैसे आह्वान ट्रेंड शुरू हो गए। यह कोई सामान्य डिजिटल ट्रेंड नहीं बल्कि एक खतरनाक और गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड कुछ संगठित डिजिटल समूहों द्वारा चलाया जा रहा है, जो न केवल ओडिशा के धार्मिक पर्यटन को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं बल्कि श्रीजगन्नाथ की सांस्कृतिक विरासत को भी कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।

करोड़ों भक्तों की आत्मा से जुड़ा है पुरी

पुरी, जो कि चार प्रमुख हिंदू तीर्थ धामों में से एक है, सदियों से आस्था, एकता और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। यह केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आत्मा से जुड़ा हुआ पवित्र स्थान है। ऐसे में पुरी के खिलाफ इस तरह की मुहिम चलाना सीधे तौर पर भारत की धार्मिक विरासत पर प्रहार है।

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