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1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से बदल रहा औद्योगिक परिदृश्य
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राज्य सरकार की रणनीति, विशाल परियोजनाएं और वैश्विक साझेदार बना रहे हैं नया औद्योगिक युग
भुवनेश्वर। ओडिशा एक ऐतिहासिक औद्योगिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। राज्य में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ स्टील सेक्टर का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे 2031 तक ओडिशा भारत की ‘स्टील कैपिटल’ बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
ओडिशा की यह योजना केवल उत्पादन की मात्रा बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य का लक्ष्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपना वर्चस्व स्थापित करना है। इसके लिए सरकार ने बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं, आधारभूत संरचना का विकास, रणनीतिक वैश्विक साझेदारियों और टिकाऊ उत्पादन को प्राथमिकता दी है।
नींव बनी संसाधनों की समृद्धि और दूरदर्शी नीति
ओडिशा को लौह अयस्क और कोयले जैसे प्रमुख कच्चे माल की भरपूर उपलब्धता का स्वाभाविक लाभ प्राप्त है। राज्य सरकार ने इन संसाधनों का बेहतर दोहन करने के लिए निवेशक हितैषी नीतियां लागू की हैं। हाल ही में आयोजित ‘इंडिया स्टील 2025’ सम्मेलन में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने वैश्विक निवेशकों को ओडिशा में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि राज्य की मजबूत औद्योगिक बुनियादी ढांचा और समृद्ध खनिज भंडार इसे निवेश का आदर्श गंतव्य बनाते हैं।
वर्तमान में (अप्रैल 2025) राज्य में 54 एकीकृत स्टील संयंत्र संचालित हो रहे हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 41.21 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक इस क्षमता को 130 एमटीपीए तक पहुंचाना है।
विशाल निवेश: स्टील क्रांति की रीढ़
ओडिशा में स्टील उत्पादन को गति देने के लिए कई बड़ी परियोजनाएं शुरू की गई हैं:
- जेएसडब्ल्यू स्टील: पारादीप में 13 एमटीपीए क्षमता वाले संयंत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश।
- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल), अनुगूल: मौजूदा 6 एमटीपीए क्षमता को 25 एमटीपीए तक ले जाने हेतु 20,000 करोड़ रुपये का विस्तार।
- टाटा स्टील, कलिंगनगर: संयंत्र को 8 एमटीपीए तक विस्तार देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश।
- पोस्को और जेएसडब्ल्यू का संयोजन, केंदुझर: 12–15 एमटीपीए क्षमता के लिए 30,000–40,000 करोड़ रुपये का संयुक्त निवेश, जिससे 30,000 से अधिक रोजगार उत्पन्न होने की संभावना।
- ऑर्सेलॉर मित्तल निप्पोन स्टील इंडिया केंद्रापड़ा: 24 एमटीपीए क्षमता वाले मेगा स्टील प्लांट के लिए भारी निवेश प्रस्तावित।
ये परियोजनाएं न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि करेंगी, बल्कि ओडिशा को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनाएंगी।
खनिज सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स
राज्य सरकार ने वर्ष 2025 में 323 मिलियन टन लौह अयस्क संसाधन वाले 8 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की है। मार्च 2026 तक 22 और ब्लॉकों की नीलामी की योजना बनाई गई है ताकि कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
स्टील सेक्टर में तेजी से हो रहे विस्तार से न केवल औद्योगिक विकास होगा बल्कि अनुमानित 5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार सृजित होंगे। इससे ओडिशा की आर्थिक प्रगति में तीव्र गति आएगी और राज्य की प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़ता कद
भारत पहले से ही विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है, लेकिन ओडिशा के इस विकास से भारत चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे दिग्गजों को चुनौती देने की स्थिति में पहुंच सकता है। ओडिशा की उत्पादन लागत दक्षता, निर्यात क्षमताएं और गुणवत्ता अब वैश्विक मानकों से होड़ लेने को तैयार हैं।