-
ओडिशा की आदिवासी बेटी काबेरी बनी मैट्रिक टॉपर
-
अब सरकार से पढ़ाई में मदद की आस
-
दादी ने निभाई मां-बाप की ज़िम्मेदारी
भुवनेश्वर। ओडिशा की आदिवासी छात्रा काबेरी ने साबित कर दिया है कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसले बुलंद हों तो मंज़िल मिल ही जाती है। जन्म के सिर्फ 9 दिन बाद पिता द्वारा बेटी होने के कारण त्यागी गई काबेरी ने मैट्रिक परीक्षा में ए-1 ग्रेड हासिल कर जिले का नाम रोशन कर दिया है। अब वह सरकार से आगे की पढ़ाई के लिए मदद की गुहार लगा रही है।
काबेरी के जन्म के कुछ दिन बाद ही माता-पिता ने उसे छोड़ दिया था, लेकिन पैतृक दादी ने उसे अपनाया और अपने सीमित संसाधनों में उसे पालने का बीड़ा उठाया। मां-बाप और अन्य परिजनों से अलग रहकर, दादी और काबेरी ने संघर्षों भरे जीवन को जीते हुए एक मिसाल कायम की।
हर कक्षा में चमकी, मिली कई छात्रवृत्तियां
काबेरी की प्रतिभा बचपन से ही निखरती रही। उसे कक्षा 3 और 5 में छात्रवृत्ति, कक्षा 6 में पठानी सामंत छात्रवृत्ति, कक्षा 8 में एनएनएमएस और कक्षा 9 में एनआरटीएस छात्रवृत्ति मिली।
अब उसने मैट्रिक परीक्षा में ए-1 ग्रेड हासिल कर जिले में गौरव का स्थान प्राप्त किया है। उसके छोटे से घर की दीवारें उसकी सफलताओं के प्रमाणपत्रों से सजी हुई हैं, जो उसके संघर्ष और लगन की गवाही देते हैं।
आगे की पढ़ाई पर संकट
अब जबकि काबेरी को आगे की पढ़ाई करनी है, आर्थिक तंगी आड़े आ रही है। उसकी दादी के पास कोई स्थायी आमदनी नहीं है और परिवार से कोई सहायता नहीं मिल रही है। ऐसे में दादी और काबेरी ने ओडिशा सरकार से मदद की अपील की है ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
कलेक्टर बनने का है सपना
काबेरी का सपना है कि वह कलेक्टर बने और अपने जिले और राज्य का नाम रोशन करे। उसने कहा कि मुझे जिंदगी में बहुत कुछ सहना पड़ा है, लेकिन मैं रुकूंगी नहीं। मैं मेहनत करूंगी और उस मुकाम तक पहुंचूंगी जहां से दूसरों को प्रेरणा दे सकूं।
काबेरी की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर सरकार और समाज ऐसे होनहार बच्चों का साथ दें, तो वे देश का भविष्य बदल सकते हैं।