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दीघा जगन्नाथ मंदिर विवाद पर एसजेटीए का सख्त रुख

  • पूरे घटनाक्रम की जांच व कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू

  • दोषियों पर कार्रवाई की उठी ज़ोरदार मांग

  • एसजेटीए प्रमुख अरविंद पाढ़ी ने की उच्चस्तरीय बैठकें

भुवनेश्वर। पश्चिम बंगाल के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर को जगन्नाथ धाम कहे जाने और वहां लकड़ी की मूर्ति स्थापित किए जाने को लेकर जारी विवाद ने तूल पकड़ लिया है। ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने अब इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है और पूरे घटनाक्रम की जांच व कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने शनिवार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई महत्वपूर्ण बैठकों का आयोजन किया। इन बैठकों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के तीनों बड़ग्राही (मुख्य सेवायत), छत्तीस नियोग और देवताओं की मूर्तियों के निर्माण के प्रमुख महाराणा भी शामिल हुए।

इन बैठकों में दीघा में हुए आयोजन की प्रामाणिकता की जांच, धार्मिक परंपराओं के संभावित उल्लंघन और संस्कृतिक विरासत सुरक्षा कानूनों के उल्लंघन पर चर्चा की गई।

दैतापति नियोग सचिव को नोटिस जारी

एसजेटीए ने दैतापति नियोग के सचिव रामकृष्ण दास महापात्र को भी नोटिस भेजी है, जिसमें उनसे दीघा आयोजन में उनकी मौजूदगी और भूमिका को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

बालक दारु के इस्तेमाल पर नाराज़गी

जनार्दन पाट्टजोशी महापात्र ने दीघा मंदिर में बालक दारु (नवकलेवर के दौरान बची हुई पवित्र नीम की लकड़ी) से मूर्ति निर्माण के दावे पर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे पुरी श्रीमंदिर की परंपरा और मर्यादा के खिलाफ बताते हुए कहा कि ऐसी मूर्तियां बिना श्रीमंदिर की अनुमति के बनाना पूर्णतः अनुचित और निंदनीय है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ओडिशा सरकार को इस विषय में पश्चिम बंगाल सरकार से औपचारिक बातचीत कर इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने या पुनर्विचार करने का अनुरोध करना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं को भ्रमित होने से बचाया जा सके और जगन्नाथ परंपरा की गरिमा बनी रहे।

कानूनी कार्रवाई के संकेत

एसजेटीए की ओर से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि यदि धार्मिक परंपराओं और विधियों का उल्लंघन साबित होता है तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। दीघा मंदिर को जगन्नाथ धाम कहे जाने और मूर्ति निर्माण प्रक्रिया को लेकर पुरी की धार्मिक मर्यादा और विशेषाधिकारों पर सवाल खड़े हो गए हैं, जिसे लेकर ओडिशा भर में रोष व्याप्त है।

ओडिशा सरकार के जांच आदेश का स्वागत

पश्चिम बंगाल में दीघा में जगन्नाथ मंदिर को लेकर चल रहे विवाद ने अब राजनीतिक और सांस्कृतिक मोड़ ले लिया है, जिसमें पश्चिम बंगाल के विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता, सुभेंदु अधिकारी ने ओडिशा सरकार के जांच आदेश का स्वागत किया है। अधिकारियों ने दीघा मंदिर में इस्तेमाल किए गए नवकलेवर के दारु (पवित्र लकड़ी) पर चिंता जताई, जिसे उन्होंने जगन्नाथ संस्कृति का अपमान बताया।

सुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि मैं ओडिशा सरकार के कानून, कार्य एवं उत्पाद शुल्क मंत्री के द्वारा दीघा मंदिर विवाद पर विस्तृत जांच के कदम का स्वागत करता हूं। यह पवित्र श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी अनुशासनहीनता और उन लोगों के कृत्यों को उजागर करने के लिए आवश्यक कदम है।

उन्होंने आगे कहा कि श्री जगन्नाथ के पवित्र संस्कारों और परंपराओं के प्रति नवकलेवर के दारु का अनधिकृत उपयोग और सेवकों का संदिग्ध सहयोग, धर्म और नैतिकता का उल्लंघन है।

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