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प्रो एनसी पंडा ने ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला

कोरापुट। प्रख्यात संस्कृत विद्वान एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद् प्रोफेसर नरसिंह चरण पांडा ने ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUO) के कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के 30 अप्रैल 2025 को जारी पत्र और विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा 1 मई 2025 को जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वर्तमान में विश्वविद्यालय में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर एवं सभी स्कूलों के डीन के रूप में कार्यरत प्रो. पंडा तब तक कार्यवाहक कुलपति के पद पर बने रहेंगे जब तक नए कुलपति की नियुक्ति नहीं हो जाती या अगले आदेश तक, जो भी कार्य पहले हो। यह नियुक्ति प्रोफेसर चक्रधर त्रिपाठी के 30 अप्रैल 2025 को दिए गए इस्तीफे के बाद हुई है, जिसे भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। प्रो. त्रिपाठी ने 26 सितंबर 2022 को पदभार संभाला था।
पदभार ग्रहण करने के पश्चात प्रो. पंडा ने विश्वविद्यालय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है और हम सभी को मिलकर ही आगे बढ़ना होगा। उन्होंने शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्रों एवं अन्य सभी हितधारकों से पूर्ण समर्थन का आग्रह किया।
प्रो. पंडा ने 23 जनवरी 2023 को संस्कृत विभाग में प्रोफेसर के रूप में CUO में योगदान दिया था। विश्वविद्यालय में वे कुलपति (कार्यवाहक), सभी स्कूलों के डीन, कुलसचिव (कार्यवाहक), वित्त अधिकारी (कार्यवाहक) एवं IQAC निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इससे पूर्व वे पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़), होशियारपुर परिसर के संस्कृत एवं इंद्रविद्याओं के अध्ययन विभाग से जुड़े थे।
तीन दशकों से अधिक लंबे शैक्षणिक अनुभव वाले प्रो. पंडा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं, जैसे ICCR चेयर विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सिल्पाकोर्न विश्वविद्यालय, बैंकॉक (थाईलैंड) एवं महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस में। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA), वाराणसी में शोध अधिकारी के रूप में भी कार्य किया है।
वे अब तक 28 पुस्तकें, 145 शोध-पत्र प्रकाशित कर चुके हैं एवं कई प्रतिष्ठित जर्नलों जैसे विश्वेश्वरानंद, इंडोलॉजिकल जर्नल्स (UGC-CARE सूचीबद्ध) और थाई प्रज्ञा (सिल्पाकोर्न विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका) के संपादन में भी योगदान दिया है। उनकी विद्वतापूर्ण रचनाएँ भारत एवं विदेशों की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। वे कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओं के संपादकीय एवं सलाहकार मंडलों के सदस्य हैं।
उन्हें उनके योगदान के लिए संस्कृत महामहोपाध्याय पुरस्कार (2024) और बगदेवी सम्मान (2025) जैसे कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनके कार्यभार ग्रहण को CUO की शैक्षणिक परंपरा को अनुभवी एवं दूरदर्शी नेतृत्व में आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।

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