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सांसद संबित पात्र का बड़ा बयान
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दीघा में नए मंदिर को लेकर उठे विवाद पर बोले – धाम का दर्जा केवल पुरी को ही प्राप्त है
पुरी। ओडिशा के पुरी से भाजपा सांसद डॉ संबित पात्र ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के दीघा में बने नए जगन्नाथ मंदिर को लेकर चल रहे विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जगन्नाथ धाम केवल पुरी में ही है और किसी अन्य स्थान को जगन्नाथ धाम कहना न तो उचित है, न स्वीकार्य।
संबित पात्र ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं इस बात का सख्त विरोध करता हूं कि किसी अन्य स्थान को जगन्नाथ धाम कहा जाए। पूरे विश्व में केवल एक ही जगन्नाथ धाम है, और वह पुरी में है।
पात्र ने कहा कि भारत में चार धाम माने जाते हैं और उनमें से एक महत्वपूर्ण धाम है जगन्नाथ धाम, पुरी।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पुरी ही वह स्थान है, जहां भगवान जगन्नाथ साक्षात् विराजते हैं। इसलिए किसी अन्य स्थान को धाम कहना ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से गलत है।
नवकलेवर की लकड़ी के उपयोग की जांच
नवकलेवर की लकड़ी के उपयोग सांसद ने यह भी कहा कि वे एक सांसद होने के नाते, मंदिर प्रशासन की जांच रिपोर्ट का इंतजार करेंगे। इससे पहले ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया था कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह इस मामले में प्रारंभिक जांच करे, क्योंकि ऐसा दावा किया गया है कि पुरी मंदिर के नवकलेवर उत्सव के दौरान प्रयुक्त होने वाली दिव्य लकड़ी का इस्तेमाल बंगाल के दीघा में बनी प्रतिमाओं में किया गया है।
मंत्री हरिचंदन ने स्पष्ट कहा कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर भारत और दुनिया भर में हो सकते हैं, लेकिन ‘धाम’ का दर्जा केवल पुरी को ही प्राप्त है। अन्य किसी स्थान की तुलना पुरी से नहीं की जा सकती।
सुदर्शन पटनायक की गजपति महाराज से अपील
प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट और मंदिर समिति के पूर्व सदस्य सुदर्शन पटनायक ने भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने गजपति महाराज दिव्यसिंह देव को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे इस धार्मिक विकृति को रोकने हेतु पहल करें और मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा और परंपरा की रक्षा करें।
पत्र में पटनायक ने उल्लेख किया है कि जगन्नाथ मंदिर का निर्माण स्वागत योग्य है, लेकिन उसे ‘धाम’ कहना करोड़ों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार केवल पुरी को ही जगन्नाथ धाम का दर्जा प्राप्त है।
ऐतिहासिक महत्व और संभावित परिणाम
पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल एक तीर्थस्थल, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। दीघा मंदिर को ‘धाम’ कहने और पुरी की परंपराओं की नकल करने से जुड़ी ये घटनाएं भविष्य में धार्मिक भ्रम और आस्था का क्षरण कर सकती हैं।