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ओडिशा में सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होगी ईवी

  • सचिवालय और विधानसभा परिसर में सिर्फ ईवी धारकों को मिलेगा प्रवेश पास

  • उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने की घोषणा

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार अब हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निर्णायक कदम उठा रही है। उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने यह नीति बना ली है कि अब सभी सरकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) से बदला जाएगा। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में सचिवालय और विधानसभा परिसर में केवल उन्हीं वाहनों को प्रवेश पास जारी किए जाएंगे जो ईवी होंगे। यह निर्देश सभी विभागों पर लागू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों के वाहनों को यदि पेट्रोल-डीजल से चलाया गया पाया गया, तो उन्हें सचिवालय व विधानसभा परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए सुरक्षा मानकों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। हालांकि अभी तिथि निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन इसकी तैयारी शुरू हो गयी है।

वह आज राजभवन में राज्यपाल की ओर से आयोजित पत्रकार सम्मेलन में पत्रकारों के पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।

सरकारी कार्यालयों और परिसरों ‘सोलर पार्क’ में होंगे तब्दील

सिंहदेव ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी सरकारी कार्यालयों और परिसरों को ‘सोलर पार्क’ में तब्दील किया जाए। यह सिर्फ एक पहल नहीं है, बल्कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में अगुवाई करे। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार अब प्रत्येक सरकारी आवासीय परिसर में सौर पैनल लगाएगी ताकि बिजली की आपूर्ति सौर ऊर्जा से हो।

राजभवन से बदलाव की हुई शुरुआत

उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने कहा कि हमने एक स्पष्ट नीति निर्णय लिया है कि पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह अब केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही उपयोग में लाए जाएंगे। राजभवन से इस बदलाव की शुरुआत हो चुकी है और इसे सभी विभागों तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजभवन परिसर में पहले से 150 किलोवाट का सौर ऊर्जा संयंत्र चालू है और जल्द ही 400 किलोवाट का अतिरिक्त संयंत्र लगाया जा रहा है, जिससे यह परिसर पूर्णतः नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होगा।

ईंधन आयात पर निर्भरता घटेगी

उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल पर्यावरणीय लाभ के लिए नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी राज्य के लिए लाभकारी साबित होगा, क्योंकि इससे ईंधन आयात पर निर्भरता घटेगी और दीर्घकालीन रूप से लागत में भी कमी आएगी। इसके साथ ही, उन्होंने मीडिया से अपील की कि वे इस बदलाव के महत्व को लोगों तक पहुंचाएं और आम जनता को भी इस हरित अभियान में भागीदार बनने के लिए प्रेरित करें।

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