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डीजल-पेट्रोल के साथ-साथ बिजली को भी कहा बाय-बाय
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रिन्यूअल एनर्जी की तरफ रखा कदम
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सौर ऊर्जा के तहत अपनी आवश्यकतानुसार बिजली का उत्पादन
भुवनेश्वर। ओडिशा के राजभवन ने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन से ऊर्जा के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर बना है, अपितु राज्यवासियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बना है। राजभवन ने रिन्यूअल एनर्जी की तरफ कदम बढ़ाते हुए डीजल-पेट्रोल के साथ-साथ बिजली को भी बाय-बाय कह दिया है और सौर ऊर्जा के तहत अपनी आवश्यकतानुसार बिजली का उत्पादन करने की ठान ली है।
राज्यपाल डॉ हरि बाबू कंभमपति ने शनिवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की कि राजभवन अब अक्षय ऊर्जा यानी रिन्यूअल एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है। उन्होंने बताया कि अब न तो डीजल-पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां राजभवन परिसर में इस्तेमाल हो रही हैं और न ही परंपरागत बिजली पर इसकी निर्भरता रही है।
बदलाव महज प्रतीकात्मक नहीं
राज्यपाल ने कहा कि यह बदलाव महज प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि व्यवहारिक और दूरदर्शी सोच का परिणाम है। राजभवन परिसर में पहले से 150 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्र का प्रयोग हो रहा है। अब अतिरिक्त 400 किलोवाट का नया संयंत्र भी लगाया जा रहा है, जिससे यह स्थान ‘नेट जीरो एनर्जी’ परिसर में तब्दील हो जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यहां इस्तेमाल होने वाले सात इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और चार इलेक्ट्रिक कारें सौर ऊर्जा से चार्ज होती हैं, जिससे ईंधन लागत और प्रदूषण—दोनों में उल्लेखनीय कमी आई है।
घरों और प्रतिष्ठानों में अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाएं
राज्यपाल ने नागरिकों से आह्वान किया कि वे भी अपने घरों और प्रतिष्ठानों में अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि यह वक्त केवल टार्गेट तय करने का नहीं, बल्कि उसे हासिल करने का है। देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है तो हर घर में सौर पैनल और हर गली में ईवी चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए।
केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं
डॉ कंभमपति ने इस अवसर पर केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कुसुम योजना और पीएम सूर्य घर योजना के जरिए केंद्र सरकार नागरिकों को सौर ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भारी सब्सिडी दे रही है। इस क्रम में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले 2 किलोवाट के लिए 30,000 रुपये प्रति किलोवाट और तीसरे किलोवाट के लिए 18,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है, जबकि ओडिशा सरकार 25,000 रुपये प्रति किलोवाट (पहले 2 किलोवाट) और तीसरे किलोवाट के लिए 10,000 रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। इस तरह कुल 1,38,000 रुपये की सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।
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