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ओडिशा में जाति आधारित जनगणना की मांग से बहस छिड़ी

  • बीजद और कांग्रेस ने जातिगत जनगणना का किया समर्थन

  • ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग पर केंद्र से स्पष्ट नीति की अपेक्षा

भुवनेश्वर। ओडिशा में जातिगत जनगणना की मांग को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने और वर्तमान 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाने की पुरजोर वकालत की है।

बीजू जनता दल (बीजद) ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना को लेकर हालिया फैसले का स्वागत किया है।

पार्टी नेता अरुण साहू ने कहा कि हम लंबे समय से ओबीसी को शिक्षा में आरक्षण बढ़ाने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्राथमिकता देने की मांग करते रहे हैं। आरक्षण का आधार केवल जाति नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ापन होना चाहिए।

कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया

ओपीसीसी अध्यक्ष भक्त चरण दास ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले लिया जाना चाहिए था। राहुल गांधी ने कई वर्षों से इसकी मांग की है। जब उन्होंने इसे उठाया था, तो भाजपा नेताओं ने इसे खारिज कर दिया था, लेकिन अब वही सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है।

उन्होंने राज्य में ओबीसी आरक्षण की स्थिति को लेकर कहा कि ओडिशा में ओबीसी आबादी लगभग 54 प्रतिशत है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उन्हें केवल 11.27 प्रतिशत आरक्षण मिला है। शिक्षा के क्षेत्र में तो आरक्षण शून्य है। यह बहुत बड़ा विरोधाभास है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि में बढ़ता दबाव

जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र की पहल के बाद ओडिशा में भी सामाजिक और राजनीतिक संगठन इस मांग को लेकर सक्रिय हो गए हैं। राज्य सरकारों से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस सर्वेक्षण में जमीनी स्तर की सच्चाई सामने लाएं ताकि वास्तविक हकदारों को आरक्षण का लाभ मिल सके।

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