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अक्षय तृतीया पर ओडिशा में श्रद्धा और परंपरा का उत्सव, मुख्यमंत्री माझी ने किया ‘अंखी मुठी अनुकुल’ अनुष्ठान

भुवनेश्वर। ओडिशा में आज अक्षय तृतीया का पर्व पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, जब सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपने सबसे अनुकूल स्थिति में होते हैं। इसे सौभाग्य, समृद्धि और नए आरंभ के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
नए आरंभ का प्रतीक
अक्षय तृतीया को नया मकान प्रवेश, वाहन खरीद, स्वर्ण आभूषण खरीदने और नए व्यापार आरंभ करने के लिए उत्तम समय माना जाता है। इस दिन को शुभ मानते हुए लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, जिससे भविष्य में निरंतर उन्नति की उम्मीद होती है।
कृषि अनुष्ठान और परंपरा
किसानों के लिए अक्षय तृतीया कृषि सत्र की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन सुबह-सुबह खेतों में जाकर बीज बोने और हल चलाने की परंपरा निभाई जाती है। यह भूमि और देवी भूदेवी के प्रति आभार स्वरूप एक धार्मिक अनुष्ठान होता है। इस दिन पारंपरिक ‘अंखी मुठी अनुकुल’ कार्यक्रम के तहत किसान नए धान के बीज बोते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं।
मुख्यमंत्री ने निभाई परंपरा
राजधानी भुवनेश्वर स्थित ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के खेत में राज्य स्तरीय किसान समारोह आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने ‘अंखी मुठी अनुकुल’ अनुष्ठान में भाग लिया। कृषि विभाग द्वारा आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भूमि पूजन भी किया।
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