-
कांग्रेस विधायक ने सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा
-
वाहिनीपति ने चिंता जताई, जिन अधिकारियों को पहले ओडिशा सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में निशाने पर लिया था, उन्हें अब केंद्र सरकार ने ‘क्लीन चिट’ देकर प्रतिनियोजन पर भेजा
भुवनेश्वर। ओडिशा में दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों, रवि कांत और मित्रभानु महापात्र के केंद्रीय प्रतिनियोजन को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। वरिष्ठ कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने इस घटनाक्रम को लेकर सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा है।
वाहिनीपति ने चिंता जताई कि जिन अधिकारियों को पहले ओडिशा सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में निशाने पर लिया था, उन्हें अब केंद्र सरकार ने ‘क्लीन चिट’ देकर प्रतिनियोजन पर भेज दिया है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास कोई सबूत नहीं था कि मित्रभानु महापात्र भ्रष्टाचार में लिप्त थे। इसलिए अमित शाह के साथ समझौते के तहत उन्हें प्रतिनियोजन पर भेज दिया गया। अच्छा हुआ कि वह प्रतिनियोजन पर गए, लेकिन इससे राज्य सरकार की किरकिरी हो गई।
नैतिक साहस नहीं है – मनमोहन
इसके जवाब में ओडिशा बीजेपी अध्यक्ष मनमोहन सामल ने आलोचकों पर पलटवार करते हुए कहा कि पहले उन्हें अपना आचरण देखना चाहिए।
सामल ने कहा कि जिन लोगों का खुद का दामन साफ नहीं है, उनके पास नैतिक साहस नहीं है कि वे ‘स्वच्छता’ पर सवाल उठा सकें।
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं, वे सिर्फ अपना ही आचरण याद दिला रहे हैं। उन्हें जो कहना है कहने दीजिए, हमारे लिए उनके बयानों का कोई महत्व नहीं है।
सामल ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह वैसा ही है जैसे कोई नशेड़ी संयम का उपदेश दे। जिनके पास नैतिक साहस नहीं है, वे स्वच्छता पर सवाल नहीं उठा सकते।
बीएसएफ में मिली बड़ी जिम्मेदारी
गौरतलब है कि ओडिशा कैडर के इन दोनों वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में महत्वपूर्ण नेतृत्व पदों पर प्रतिनियुक्त किया गया है।
यह प्रतिनियोजन पांच वर्षों के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए किया गया है।