भुवनेश्वर। भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक, इसरो के पूर्व अध्यक्ष और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने गहरा शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक भावुक संदेश में मंत्री ने कहा कि डॉ. कस्तूरीरंगन का जाना वैश्विक वैज्ञानिक और शैक्षणिक समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति है, साथ ही यह उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी एक गहरी पीड़ा का क्षण है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने डॉ. कस्तूरीरंगन को केवल एक मार्गदर्शक नहीं, बल्कि एक “प्रेरणास्त्रोत, करुणा, ज्ञान और शांति के प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें वर्षों तक डॉ. कस्तूरीरंगन का स्नेह, आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिला।
शिक्षा मंत्री ने उन्हें एक “बौद्धिक महापुरुष” और “सच्चे कर्मयोगी” की उपाधि देते हुए उनके योगदानों को आधुनिक भारत की वैज्ञानिक, शैक्षणिक और नीतिगत संरचना का आधार बताया। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ एक महान वैज्ञानिक या नीतिकार नहीं थे, बल्कि हर मायने में एक राष्ट्रनिर्माता थे।
धर्मेन्द्र प्रधान ने यह भी स्मरण किया कि डॉ. कस्तूरीरंगन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। उन्होंने इसे एक “दूरदर्शी प्रयास” और आने वाली पीढ़ियों के लिए “परिवर्तनकारी उपहार” बताया।
डॉ. कस्तूरीरंगन के परिवार, सहयोगियों और अनगिनत छात्रों व शिक्षाविदों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत उनके विशाल बौद्धिक योगदान, शांत लेकिन दृढ़ नेतृत्व और निःस्वार्थ सेवा के लिए सदा ऋणी रहेगा।
अपने संदेश के अंत में प्रधान ने कहा कि डॉ. कस्तूरीरंगन की विरासत आने वाली पीढ़ियों के वैज्ञानिकों और शिक्षकों को दिशा देती रहेगी। “भारत ने इसरो के एक स्तंभ और शिक्षा सुधारों के एक पथप्रदर्शक को खो दिया है। हार्दिक श्रद्धांजलि। ॐ शांति।