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इस वर्ष किए गए कैमरा ट्रैप सर्वे से हुआ खुलासा
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जीनत और यमुना की संतानों ने बढ़ाई संख्या
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार द्वारा सिमिलिपाल को वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान घोषित किए जाने के एक दिन बाद वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक और खुशखबरी सामने आई है।
वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रेम कुमार झा ने शुक्रवार को बताया कि इस वर्ष किए गए कैमरा ट्रैप सर्वे के अनुसार, सिमिलिपाल में अब 40 रॉयल बंगाल टाइगर हैं, जिनमें 6 शावक भी शामिल हैं।
यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से प्रसिद्ध बाघिनों जीनत और यमुना के सफल प्रजनन का नतीजा है। इनके वंशजों ने पार्क की बाघ आबादी में उल्लेखनीय योगदान दिया है। विभाग ने 13 वयस्क नर और 17 मादाओं की पहचान की है, जबकि दो वयस्क बाघों के लिंग की पुष्टि अभी नहीं हुई है।
सिमिलिपाल में 18 काले बाघ
इस रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि सिमिलिपाल में 18 मेलानिस्टिक (काले) रॉयल बंगाल टाइगर पाए गए हैं, जो कि एक दुर्लभ आनुवंशिक प्रजाति है और केवल सिमिलिपाल में ही पाई जाती है। इनमें 9 नर और 9 मादा काले बाघ शामिल हैं। इन बाघों की मौजूदगी न केवल जैव विविधता को समृद्ध करती है बल्कि सिमिलिपाल को वैश्विक स्तर पर भी विशिष्ट बनाती है।
10 साल में 100 बाघों का लक्ष्य
पीसीसीएफ झा के अनुसार, ओडिशा सरकार ने अगले 10 वर्षों में बाघों की संख्या 100 तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए विशेष संरक्षण कार्यक्रम, आवास सुधार और कड़ी एंटी-पोचिंग (शिकार विरोधी) रणनीतियां अपनाई जाएंगी।
2024 की जनगणना के बाद बड़ी छलांग
यह आंकड़े 2024 में हुई राज्य की पहली बाघ जनगणना के बाद आए हैं, जिसमें सिमिलिपाल में 27 वयस्क बाघ और 8 शावक पाए गए थे। ताजा आंकड़े स्पष्ट रूप से प्रजनन दर में सुधार और संरक्षण की सफलता को दर्शाते हैं।
वन अधिकारियों के अनुसार, यह उपलब्धि निरंतर निगरानी, आधुनिक तकनीक जैसे कैमरा ट्रैप के प्रयोग, आवास प्रबंधन में सुधार और फील्ड स्टाफ की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
अब सिमिलिपाल न केवल रॉयल बंगाल टाइगर का प्रमुख आश्रय स्थल बन चुका है, बल्कि यह विश्व का एकमात्र स्थान है जहां प्राकृतिक रूप से काले बाघ पाए जाते हैं।
ओडिशा की यह पहल देश में बाघ संरक्षण का एक आदर्श मॉडल बनकर उभर रही है और राज्य की वन्यजीव संपदा का प्रतीक बन गई है।