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बीजद में फिर बगावत खुलकर सामने आई, अंदरूनी कलह गहराई

  • अमरेश जेना ने पार्टी नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

  • कहा–अब कुछ लोगों की बपौती बन चुकी है बीजद

  • अमरेश जेना के बयान के बाद उनके समर्थकों ने संजय दासवर्मा के घर किया घेराव

भुवनेश्वर। बीजू जनता दल (बीजद) में जारी अंदरूनी असंतोष अब बगावत के रूप में सतह पर आ चुका है। भुवनेश्वर नगर निगम के पार्षद और बीजद नेता अमरेश जेना ने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके तुरंत बाद सोमवार देर रात उनके सैकड़ों समर्थकों ने वरिष्ठ नेता संजय दासवर्मा के निवास का घेराव कर माहौल गरमा दिया।

खारबेलनगर स्थित संजय दासवर्मा के घर के बाहर अमरेश जेना जिंदाबाद और दासवर्मा मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठे। सूत्रों का कहना है कि जेना को बीजद की नई राज्य परिषद से बाहर रखने के फैसले के खिलाफ यह प्रदर्शन किया गया।

अमरेश जेना का सीधा हमला

अमरेश जेना ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि बीजद अब पहले जैसी नहीं रही। पार्टी को चार-पांच लोग चला रहे हैं, जो पूरी तरह पक्षपाती हैं। जो ज़मीन पर मेहनत कर रहे हैं, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि पार्टी की 24 वर्षों की मेहनत और जनता का विश्वास अब अंदरूनी षड्यंत्रों के चलते बर्बादी की ओर बढ़ रहा है।

जो पार्टी कभी ‘गोल्डन टच’ के लिए जानी जाती थी, वही अब पतन की कगार पर है। कुछ नेता हर जिले में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं।

प्यारी बाबू के पुराने साथी नवीन के करीब

जेना ने कुछ वरिष्ठ नेताओं पर इशारों-इशारों में बड़ा हमला करते हुए कहा कि जो लोग कभी प्यारी बाबू के साथ थे, वे ही अब नवीन पटनायक के सबसे करीबी बन गए हैं। यही लोग पार्टी को ले डूबेंगे। उन्होंने कहा कि ये नेता अब भी मंत्री जैसा व्यवहार कर रहे हैं, जबकि जनता ने उन्हें नकार दिया है। सत्ता से बाहर होने के बाद भी इन लोगों को मंत्रीपद का नशा उतरा नहीं है। पार्टी को बंगाल की खाड़ी तक पहुंचा दिया है, अब डूबना ही बाकी है।

अमरेश जेना का खुला ऐलान – अब चुप नहीं बैठेंगे

जेना ने साफ शब्दों में कहा कि वे पार्टी को बचाने के लिए अब खुलकर बोलेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे।  जो पार्टी को अंदर से खोखला कर रहे हैं, उन्हें उजागर करना अब ज़रूरी है। जब तक पार्टी में लोकतंत्र और निष्पक्षता नहीं लौटती, तब तक चुप नहीं बैठेंगे।

संजय दासवर्मा चुप, बीजद नेतृत्व मौन

इस घटना के बाद अब तक न तो संजय दासवर्मा ने कोई प्रतिक्रिया दी थी, न ही बीजद के केंद्रीय नेतृत्व ने स्थिति पर कोई आधिकारिक बयान जारी किया था। यह चुप्पी खुद पार्टी में गहराते असंतोष और अविश्वास को दर्शाती है।

बीजद के लिए खतरे की घंटी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेना जैसे नेताओं की नाराजगी और कार्यकर्ताओं का खुला प्रदर्शन आने वाले समय में बीजद के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है। 2024 के चुनावी झटके के बाद भी पार्टी में आत्ममंथन की जगह आंतरिक सत्ता संघर्ष जारी है, जो उसकी नींव को हिला सकता है। कहा जा रहा है कि अगर बीजद नेतृत्व ने समय रहते इन नाराज आवाजों को नहीं सुना, तो आने वाले पंचायत और नगर निकाय चुनावों में इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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