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भाषा, साहित्य, सृजन, धरोहर और संस्कृति का संगम
भुवनेश्वर। भगवान जगन्नाथ को समर्पित पुरी लिटरेरी फेस्टिवल ने भाषा, साहित्य, संस्कृति और धरोहर का भव्य उत्सव बनकर उभरा है। फेस्टिवल का निदेशक, ओम प्रियदर्शी ने बताया कि इस समर्पण का अर्थ, अब यह उत्सव भगवान की दिव्य इच्छा के अधीन संचालित होगा। यह आयोजन अध्य यन फाउंडेशन, भारत सरकार के युवा व्यापार मंत्रालय और ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग, ओडिशा सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया।
फेस्टिवल में कई विशिष्ट सत्र आयोजित किए गए। इनमें “पैशन टू पर्पस: ए लाइफ लेसन फॉर इंडिया यूथ” में शेहजाद पूनावाला, सब्यसाची मिश्र, सुधा सिंह और नमित सक्सेना शामिल थे। “सस्टेनेबिलिटी: बिल्डिंग ए क्लाइमेट-रेसिलिएंट भारत” विषय के ऊपर आभा मिश्रा, निखिल चांदवानी, तुषार जावेदकर, हर्ष चौहान और मल्हार कलंबे जैसे वक्ताओं ने अपनी मतव्यक्त किए। “जगन्नाथ: ओडिशा की पहचान” विषय पर डॉ. भास्कर मिश्र, असित मोहंती, अनिल धीर, पंचमी मनू उकिल और हरिहर होता जैसे वक्ताओं ने चर्चा की। अन्य प्रमुख सत्रों में “पब्लिशर मीट” (दिबाकर घोष, सुभ्रंशु पंडा, मेघा मुखर्जी और विधि भार्गव), “राधाभूमि और विश्व पार की दुनिया” (जितेंद्र नाथ मिश्र, देब प्रसाद दाश, डॉ. रमेश चंद्र गौर, ज्ञान होता और अनिल बिस्वाल) शामिल थे।
“डिकॉलोनाइजेशन एंड द ग्लोबल साउथ: रिसेपिंग मल्टीलेटरलिज्म” सत्र में अनिल सूकल, डॉ. श्रीराम चौलिया, रामी निरंजन देसाई, स्वस्ति राव और प्रणब धल सामंत जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया। “मोस्टली रियल: अनफिल्टर्ड विद प्राजक्ता कोली” सत्र ने प्राजक्ता कोली और आरुषि सना की उपस्थिति श्रोताओं को उत्साहित किया था।
फेस्टिवल के दौरान डॉ. हेनेरिटा मिश्रा की पुस्तक “ नारी जीवन की मिथ, मोटिफ और मेटाफर” पुस्तक का उन्मोचन किया गया था। प्रयोक्ता कोहली और श्री दीप हलदार की पुस्तकों को पुरी लिटरेरी फेस्टिवल बुक अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। प्रतिष्ठित रमाकांत रथ साहित्य पुरस्कार प्रसिद्ध कवि के सम्मान में उनकी पत्नी श्रीमती शांति रथ द्वारा श्री ज्ञान होता को साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
फेस्टिवल का समापन सत्र ओम प्रियदर्शी, एनबीटी के चेयरमैन प्रो. मिलिंड मराठे और डॉ. रमेश चंद्र गॉर की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने उत्सव की गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। पुरी लिटरेरी फेस्टिवल ने ओडिशा में सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में अपनी पहचान को और भी मजबूत किया।
फेस्टिवल में कई विशिष्ट सत्र आयोजित किए गए। इनमें “पैशन टू पर्पस: ए लाइफ लेसन फॉर इंडिया यूथ” में शेहजाद पूनावाला, सब्यसाची मिश्र, सुधा सिंह और नमित सक्सेना शामिल थे। “सस्टेनेबिलिटी: बिल्डिंग ए क्लाइमेट-रेसिलिएंट भारत” विषय के ऊपर आभा मिश्रा, निखिल चांदवानी, तुषार जावेदकर, हर्ष चौहान और मल्हार कलंबे जैसे वक्ताओं ने अपनी मतव्यक्त किए। “जगन्नाथ: ओडिशा की पहचान” विषय पर डॉ. भास्कर मिश्र, असित मोहंती, अनिल धीर, पंचमी मनू उकिल और हरिहर होता जैसे वक्ताओं ने चर्चा की। अन्य प्रमुख सत्रों में “पब्लिशर मीट” (दिबाकर घोष, सुभ्रंशु पंडा, मेघा मुखर्जी और विधि भार्गव), “राधाभूमि और विश्व पार की दुनिया” (जितेंद्र नाथ मिश्र, देब प्रसाद दाश, डॉ. रमेश चंद्र गौर, ज्ञान होता और अनिल बिस्वाल) शामिल थे।
“डिकॉलोनाइजेशन एंड द ग्लोबल साउथ: रिसेपिंग मल्टीलेटरलिज्म” सत्र में अनिल सूकल, डॉ. श्रीराम चौलिया, रामी निरंजन देसाई, स्वस्ति राव और प्रणब धल सामंत जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया। “मोस्टली रियल: अनफिल्टर्ड विद प्राजक्ता कोली” सत्र ने प्राजक्ता कोली और आरुषि सना की उपस्थिति श्रोताओं को उत्साहित किया था।
फेस्टिवल के दौरान डॉ. हेनेरिटा मिश्रा की पुस्तक “ नारी जीवन की मिथ, मोटिफ और मेटाफर” पुस्तक का उन्मोचन किया गया था। प्रयोक्ता कोहली और श्री दीप हलदार की पुस्तकों को पुरी लिटरेरी फेस्टिवल बुक अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। प्रतिष्ठित रमाकांत रथ साहित्य पुरस्कार प्रसिद्ध कवि के सम्मान में उनकी पत्नी श्रीमती शांति रथ द्वारा श्री ज्ञान होता को साहित्य में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
फेस्टिवल का समापन सत्र ओम प्रियदर्शी, एनबीटी के चेयरमैन प्रो. मिलिंड मराठे और डॉ. रमेश चंद्र गॉर की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने उत्सव की गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। पुरी लिटरेरी फेस्टिवल ने ओडिशा में सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में अपनी पहचान को और भी मजबूत किया।