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बाल कल्याण समिति ने शुरू की जांच
रायगड़ा। ओडिशा के रायगड़ा ज़िले के काल्याणसिंहपुर क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां कक्षा 7 में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा गर्भवती पाई गई है। इस घटना के सामने आते ही बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
सीडब्ल्यूसी ने छात्रा से विस्तार से पूछताछ की और जांच के दौरान यह बात सामने आई कि रायगड़ा सदर ब्लॉक के एक नाबालिग लड़के की इस मामले में संलिप्तता है। समिति ने इस मामले को पूरी गंभीरता से लेते हुए हर पहलू की जांच शुरू कर दी है, ताकि सच्चाई सामने लाई जा सके और संबंधित पक्षों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो सके।
निष्पक्ष जांच का आश्वासन
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष बिदुलता हुईका ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा कि मामले की जांच चल रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष तरीके से जांच की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद ही किसी निष्कर्ष की आधिकारिक जानकारी साझा की जा सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल प्राथमिकता नाबालिग छात्रा की सुरक्षा और मानसिक स्थिति को संभालने की है।
क्षेत्र में फैली चिंता और आक्रोश
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों में चिंता और आक्रोश की लहर फैल गई है। समाज में इस तरह की घटनाएं न सिर्फ नैतिक पतन का संकेत देती हैं बल्कि यह बाल सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाती हैं। स्थानीय लोग इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इसी साल फरवरी में भी सामने आई थी ऐसी घटना
यह कोई अकेली घटना नहीं है। इसी साल फरवरी महीने में मालकानगिरी ज़िले के एक राज्य-नियंत्रित आवासीय विद्यालय में एक और नाबालिग छात्रा द्वारा बच्चे को जन्म देने की घटना सामने आई थी। उस छात्रा ने बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के बाद हॉस्टल लौटते समय एक बच्ची को जन्म दिया था।
घटना के बाद छात्रा और नवजात को तुरंत चित्रकोंडा के उप-मंडल अस्पताल ले जाया गया था और बाद में मालकानगिरि जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस घटना ने भी राज्य की छात्रावास व्यवस्था और बाल सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
सामाजिक संरचना पर सवाल
लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि राज्य में किशोर-किशोरियों की सुरक्षा, नैतिक शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में गंभीर और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। अभिभावकों, शिक्षकों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन को मिलकर काम करने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
राज्य सरकार और बाल सुरक्षा विभाग से लोगों को अपेक्षा है कि वे इन मामलों को गंभीरता से लेकर आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाएंगे और दोषियों को न्यायिक दंड दिलाएंगे।