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कहा-तभी विकसित भारत-2047 का सपना होगा साकार
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार के कानून, निर्माण और आबकारी मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि ओडिशा सरकार का ‘विकसित ओडिशा 2036’ का सपना अब योजनाओं से निकलकर ज़मीन पर आकार लेने लगा है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व में तैयार हो रहा यह रोडमैप एक स्पष्ट रणनीति के तहत यह मानता है कि अगर 2036 में राज्य को एक आत्मनिर्भर, आधुनिक और विकसित इकाई बनाना है, तो उसकी ठोस संरचना 2029 तक तैयार करनी होगी। यह बुनियादी संरचना ही आगे चलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘2047 तक विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने में ओडिशा की निर्णायक भागीदारी सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि 2036 ओडिशा के लिए भावनात्मक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष होगा, लेकिन 2036 में क्या दिखेगा, वह इस पर निर्भर करता है कि हम 2029 तक क्या और कितना तैयार कर पाते हैं। अगर 2029 तक हमने सही रणनीति और आधार नहीं बनाया, तो 2036 सिर्फ भाषणों का साल बनकर रह जाएगा।
हरिचंदन ने ज़ोर देते हुए कहा कि 2036 को केवल प्रतीक नहीं, एक उत्सव की तरह एक्शन प्लान में बदलना होगा। उन्होंने आगे कहा कि 2036 के लिए सिर्फ खाका नहीं, एक ऑडिटेबल, मापने योग्य, ज़िलेवार और सेक्टरवार ढांचा चाहिए। भुवनेश्वर ग्लोबल सिटी हो, पुरी ग्लोबल स्पिरिचुअल हब हो, कोरापुट-नवरंगपुर में ट्राइबल एजुकेशन ज़ोन हो, ये सब बातें सिर्फ भाषणों में नहीं रहना चाहिए।
राज्य सरकार के स्तर पर इन बातों को गंभीरता से लिया गया है। लॉजिस्टिक्स, ग्रीन एनर्जी, टूरिज़्म और आईटी सेक्टर में व्यापक निवेश की दिशा में काम हो रहा है। भुवनेश्वर-कटक-पुरी रिंग रोड, एयरपोर्ट सिटी और स्मार्ट सड़कों जैसी परियोजनाएं अब मूर्त रूप ले रही हैं। टारगेट रखा गया है कि 2036 तक ओडिशा में हर साल 25 करोड़ पर्यटक आएं।
हरिचंदन ने यह भी जोड़ा कि 2036 में जो दिखेगा, वह 2029 तक तैयार होगा और 2047 में देश की विकास यात्रा उसी नींव पर टिकेगी। इसलिए 2029 हमारा लक्ष्य वर्ष होना चाहिए और 2036 उसका उत्सव।
राज्य सरकार इस दिशा में जिलों के आधार पर योजनाएं बना रही है, कहीं खेती आधारित वैल्यू एडिशन, कहीं समुद्री व्यापार, कहीं धार्मिक पर्यटन, तो कहीं पहाड़ी इलाकों में इको-टूरिज़्म। यह समावेशी सोच ओडिशा के विकास को व्यापक और संतुलित बनाएगी।
2030 तक राज्य को ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य भी इस रणनीति का हिस्सा है। सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन, एथनॉल और वेस्ट-टू-एनर्जी जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किए जा रहे हैं।
इस पूरी रणनीति का सार यही है, अगर 2029 तक नींव पक्की नहीं हुई, तो 2036 का सपना अधूरा रह जाएगा, और 2047 का विकसित भारत लक्ष्य भी कमजोर पड़ेगा। लेकिन अगर अभी से ज़िम्मेदारी और दूरदर्शिता के साथ कदम बढ़ाए गए, तो ओडिशा सिर्फ राज्य नहीं, देश के विकास का रोल मॉडल बन सकता है।