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100 वर्षों तक संरक्षित रहेगा रत्न भंडार
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रत्नों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया तय
पुरी। पुरी श्रीमंदिर के ऐतिहासिक रत्न भंडार का बहुप्रतीक्षित मरम्मत कार्य अगले महीने तक पूर्ण हो जाएगा। यह जानकारी रत्न भंडार निरीक्षण समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने दी है।
जस्टिस रथ ने बताया कि भीतरी रत्न भंडार का अधिकतर कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बाहरी रत्न भंडार का मरम्मत कार्य जारी है। यह मरम्मत कार्य रत्न भंडार की संरचनात्मक मजबूती को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है, ताकि यह कम से कम अगले 100 वर्षों तक सुरक्षित रह सके।
उन्होंने बताया कि पहले से जर्जर पांच बीमों को हटाकर मजबूत स्टील बीम लगाए गए हैं, जिससे संरचना को दीर्घकालीन मजबूती मिलेगी।
जस्टिस रथ ने कहा कि मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद रत्नों और आभूषणों को एक निश्चित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और सुरक्षात्मक ढंग से की जाएगी, ताकि अमूल्य धरोहर को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
भीतरी दीवारों की हालत गंभीर थी
उन्होंने बताया कि भीतरी रत्न भंडार की दीवारें काफी क्षतिग्रस्त अवस्था में थीं। भगवान की कृपा से समय रहते मरम्मत कार्य शुरू किया गया। कार्य को बहुत सावधानी और सही सामग्री के उपयोग के साथ किया जा रहा है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम अंजाम दे रही है।
प्रतिदिन 3-4 घंटे हो रहा कार्य
उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 3 से 4 घंटे का मरम्मत कार्य हो रहा है और कार्य की गति को देखते हुए अगले महीने के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा। मरम्मत कार्य पूर्ण होने के पश्चात रत्नों की पुनः स्थापना और गिनती का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। यह पहल न केवल रत्न भंडार की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि श्रीमंदिर की समृद्ध परंपरा और आस्था को भी सुदृढ़ बनाएगी।