Sat. Apr 19th, 2025
  •  उत्कल विपन्न सहायता समिति वार्षिक उत्सव समारोह

भुवनेश्वर। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि लोगों के सेवक के रूप में कार्य करने की प्रेरणा मुझे संघ से मिली है। यह बातें मुख्यमंत्री ने भुवनेश्वर के उत्कल मंडप में आयोजित सेवा भारती से जुड़े उत्कल विपन्न सहायता समिति के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं हों या आपातकालीन स्थितियां, उत्कल विपन्न सहायता समिति ने हर बार संकटग्रस्त ओडिशावासियों की मदद के लिए तत्परता दिखाई है। 43 वर्षों की सेवा यात्रा में यह संस्था गरीब, असहाय और जरूरतमंदों को विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्रदान कर अग्रणी सामाजिक संस्था के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रमुख चिकित्सा स्थलों, कटक, भुवनेश्वर, ब्रह्मपुर, में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए समिति द्वारा संचालित स्वास्थ्य सहायता केंद्रों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। ये केंद्र मरीजों की आवास, भोजन, डॉक्टर और अस्पतालों से समन्वय में मदद करते हैं ताकि वे उचित उपचार प्राप्त कर सकें।

सेवा कार्य की सराहना की
उन्होंने याद दिलाया कि 1982 की प्रलयकारी बाढ़, बारिपदा मधुबन की भयावह अग्निकांड और 1999 के सुपर साइक्लोन के समय समिति ने देवदूत की तरह पीड़ितों की सहायता की थी। विशेष रूप से 1999 की सुपर साइक्लोन के दौरान स्वयंसेवकों की कठिन मेहनत, त्याग और सेवा भावना को राष्ट्रीय मीडिया ने भी सराहा था।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 1999 की महावात्या के समय वह स्वयं आनंदपुर, केंदुझर जिले में एक सक्रिय स्वयंसेवक के रूप में सेवा कार्यों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के रूप में लोगों के सेवक के रुप में कार्य करने प्रेरणा  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  से मिली है। समाज के प्रति संवेदनशीलता और समर्पण की भावना भी उन्होंने संघ के विचारों से ही ग्रहण की है।

आवासीय छात्रावासों की स्थापना की प्रशंसा की

मुख्यमंत्री ने गजपति जिले के परालाखेमुंडी और मयूरभंज जिले के उदला में जनजातीय बच्चों के लिए आवासीय छात्रावासों की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में समिति के योगदान की भी प्रशंसा की। भुवनेश्वर में समिति द्वारा 50 से अधिक केंद्रों में 1000 से अधिक बच्चों को संस्कृति, परंपरा और नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है।

हमारा मंत्र है – ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः
महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा, लिंगराज महाप्रभु की रुकुना रथयात्रा और ढेंकानाल के जोरंदा माघ मेला जैसे आयोजनों में समिति की सेवा कार्यों को पूरे ओडिशा ने देखा और सराहा है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि हमारा मंत्र है – ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’। इस आधार पर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के संकल्प को आत्मसात कर रहे हैं और राज्य सरकार काया, वाचा, मनसा से इसका पालन कर रही है।
सेवा भारत का स्वभाव है : विजय मनोहर पुराणिक
मुख्य वक्ता के रूप में सेवा भारती के संयुक्त महामंत्री विजय मनोहर पुराणिक ने कहा कि राजनीतिक परिवर्तन के लिए बहुमत जरूरी है, लेकिन सामाजिक परिवर्तन के लिए रचनात्मकता की आवश्यकता होती है। उत्कल विपन्न सहायता समिति जैसी संस्थाओं की सेवा भावना के कारण ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव हो सका है। भारत की संस्कृति में सेवा की यह सभ्यता प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसे समिति ने विशेष रूप से कोरोना लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की सेवा कर पुनः जीवित किया।

सेवा भारत का स्वभाव है
पुराणिक ने कहा कि सेवा भारत का स्वभाव है। यह भारत के लिए विदेशी देन नहीं है। यह हजारों वर्षों से चला आ रहा है। उन्होंने महर्षी व्यास को उद्धृत करते हुए कहा कि परोपकार करना ही पुण्य है तथा दूसरों को कष्ट पहुंचाना ही पाप है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सेवा के बहुत कार्य किये गये। सरकार के अलावा समाज ने अपना कार्य बखूबी किया। पहले लाक डाउन हटने के बाद माइग्रेंट श्रमिक जब पैदल अपने अपने गांव की ओर जा रहे थे तब गांव वालों ने उनकी सेवा की । न उनको उनकी भाषा मालूम थी न उनके जातिपाति के थे। जो मजदूर अपने-अपने गांव की ओर जा रहे हैं, ऐसे मजदूरों की सेवा करना हमारा कर्तव्य है, यह मान कर सेवा करने वाले लोग थे। ये सामान्य लोग ही थे। यह भारत का सेवा का स्वभाव है।

समाज में दिख रही है एक परिवर्तन
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने पूरे जीवन में सेवा पर ध्य़ान दिया। उन्होंने कहा कि नर सेवा यानी नारायण सेवा। उन्होंने कहा कि मैं उस भगवान का सेवा करना चाहता हूं जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य़ कहते हैं। उत्कल विपन्न सहायता समिति व इस तरह के हजारों संगठन इस तरह के सेवा कार्य कर रहे हैं। इस कारण समाज में एक परिवर्तन दिख रही है।
उन्होंने कहा कि सेवा करने वाले लोगों में विनम्रता आती है। उसके हृदय का भाव निर्मल हो जाता है। इसी तरह जिनकी सेवा की जाती है उन्हें सरकारी भाषा में बेनिफिसियरी कहा जाता है। हम उन्हें बेनिफिसियरी नहीं मानते हैं। ऐसे लोगो में आत्म विश्वास को बढाना तथा याचक मनोवृत्ति से उसे बाहर निकाल कर उनके मन में तुम भी हमारे साथ कंधे से कंधा मिला कर हमारे साथ चल सकते हो इस प्रकार की विश्वास व भावना का निर्माण सेवा के आधार पर हमें करना है।

ऐसे भावन का निर्माण करना कि…

उन्होंने कहा कि दो प्रकार की सेवा होती है। पहला जीवन रक्षण करने की सेवा तथा दूसरा जीवन निर्माण की सेवा। हम ऐसा मानते हैं कि जीवन निर्माण की सेवा, जिसके कारण व्यक्ति का चरित्र निर्माण हो, व्यक्ति में आत्म विश्वास की जागरण हो. व्यक्ति अपने बलबूते स्वयं खड़ा होने की स्थिति में रहे, ऐसे भावन का निर्माण करना है। आज मुझे लेने की नौबत आयी है, लेकिन धीरे-धीरे मैं लेने वाला न रह जाउं, में कमाने वाला बन जाउं. ऐसी भावना उनके मन में आना चाहिए। धीरे-धीरे यह लेने वाला व्यक्ति सेवा करने वाले व्यक्ति बनें। जो सेवित परिवारों से आये हैं, लेकिन आज सेवा कार्य कर रहे हैं,  आज ऐसे हजारों उदाहरण आज हमें देशभर में देखने को मिलते हैं।
इस अवसर पर समाज सेवा और कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विशिष्ट समाजसेवियों और किसानों को सम्मानित किया गया। साथ ही समिति की दो स्मरणिकाओं का विमोचन भी किया गया। समारोह में समिति के अध्यक्ष अक्षय कुमार बिट ने स्वागत भाषण दिया, जबकि अच्युतानंद पाणिग्राही ने संपादकीय विवरण प्रस्तुत किया और हिमांशु शेखर नायक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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