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  •  7,500 करोड़ रुपये की योजनाएं पर्यावरणीय स्वीकृति के अभाव में अटकीं

भुवनेश्वर। ओडिशा में राजधानी क्षेत्र और पश्चिमी इलाके में यातायात जाम से राहत दिलाने के लिए प्रस्तावित दो महत्त्वपूर्ण रिंग रोड परियोजनाएं, भुवनेश्वर-कटक के चारों ओर 111 किलोमीटर लंबी कैपिटल रीजन रिंग रोड (सीआरआरआर) और संबलपुर में 35 किलोमीटर लंबी रिंग रोड, लगभग दो वर्षों से पर्यावरणीय और वन भूमि स्वीकृतियों की प्रतीक्षा में लंबित पड़ी हैं। अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इन बहुप्रतीक्षित परियोजनाओं के लिए जरूरी मंज़ूरी प्रक्रियाओं को शीघ्रता से पूरा किया जाए।
सीआरआरआर से राजधानी को मिलेगी जाम से राहत
भारतमाला परियोजना के तहत स्वीकृत 6,100 करोड़ रुपये की लागत वाली यह रिंग रोड परियोजना, भुवनेश्वर, कटक और खुर्दा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों को बाईपास करने के उद्देश्य से विकसित की जा रही है। यह एक छह लेन की एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे होगी, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 16 (एनएच-16) पर लंबी दूरी के वाहनों को राजधानी क्षेत्र से बाहर निकालने में मदद करेगी।
इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण जून 2022 से चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था और इसका निर्माण तीन खंडों में प्रस्तावित है। एक बार यह परियोजना पूरी हो जाने के बाद न केवल भुवनेश्वर-कटक में यातायात का दबाव कम होगा, बल्कि चौद्वार और आठगढ़ जैसे उपनगरों को भी काफी लाभ मिलेगा।
हालांकि, इसमें शामिल वन भूमि के डायवर्जन (विकल्प के रूप में उपयोग) की स्वीकृति अभी तक नहीं मिल सकी है, जिससे परियोजना का कार्य आरंभ नहीं हो पा रहा है।
संबलपुर रिंग रोड से औद्योगिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
संबलपुर रिंग रोड परियोजना की अनुमानित लागत 1,333 करोड़ रुपये है। यह एक चार लेन की ग्रीनफील्ड कॉरिडोर होगी जो संबलपुर शहर के चारों ओर 19 गांवों को जोड़ेगी। इसके लिए लगभग 290 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें 170 हेक्टेयर निजी और 120 हेक्टेयर सरकारी भूमि शामिल है।
इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन वन विभाग की स्वीकृति लंबित है। विशेष रूप से संबलपुर में 120 हेक्टेयर सरकारी वन भूमि के डायवर्जन को लेकर अब तक अनुमति नहीं मिली है। यह स्थिति परियोजना को ठप बनाए हुए है।
एनएचएआई का दबाव, राज्य सरकार की चुप्पी
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हाल ही में ओडिशा सरकार को पत्र लिखकर इन दोनों परियोजनाओं के लिए लंबित फॉरेस्ट क्लियरेंस और अन्य वैधानिक अनुमतियों की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया है। उसका कहना है कि ये परियोजनाएं क्षेत्रीय संपर्क, यातायात सुगमता और औद्योगिक विकास के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यदि मंजूरी नहीं मिली तो राज्य को न केवल निवेश अवसरों का नुकसान होगा, बल्कि सड़क सुरक्षा, आपातकालीन सेवाओं और लॉजिस्टिक नेटवर्क पर भी प्रभाव पड़ेगा।
राज्य सरकार की समानांतर योजना
इन रिंग रोड परियोजनाओं के समानांतर, ओडिशा सरकार ने भी भुवनेश्वर के भीतर ट्रैफिक प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए लगभग 7,000 करोड़ रुपये की लागत वाली एक समग्र योजना की घोषणा की है।
इस योजना के प्रमुख घटक हैं:
• 64 किलोमीटर लंबी इनर रिंग रोड (तमांडो से पाइकरापुर तक)
• 148 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड
• जयदेव विहार से नंदनकानन तक एक एलिवेटेड कॉरिडोर
• तीन नए फ्लाईओवर
• मुख्य सड़कों का चौड़ीकरण और सुधार
इस योजना का उद्देश्य राजधानी क्षेत्र में शहरी विकास, यातायात नियंत्रण और सुरक्षित परिवहन ढांचे को मजबूती देना है।

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By admin

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