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वक्फ बिल को लेकर उपजा विवाद लगातार गहराया
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वरिष्ठ और कनिष्ठ नेताओं में दिख रहा है टकराव
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देवाशीष सामंतराय का सुलता देव पर परोक्ष हमला
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अनुशासनहीनता का लगाया गंभीर आरोप
भुवनेश्वर। बीजू जनता दल (बीजद) के भीतर अनुशासन और संगठनात्मक समन्वय को लेकर मतभेद अब सार्वजनिक रूप ले चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ सांसद देवाशीष सामंतराय ने परोक्ष रूप से पार्टी की राज्यसभा सांसद सुलता देव पर हमला बोलते हुए उन्हें अनुशासन भंग करने और पार्टी के भीतर असंतुलन पैदा करने का दोषी ठहराया है।
हाल ही में राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बीजद नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हुई थी। इसकी शुरुआत बीजद के सांसद सस्मित पात्र की एक सोशल मीडिया पोस्ट से हुई, जिसे लेकर पार्टी के भीतर कई नेताओं ने अप्रसन्नता जताई। इस पोस्ट के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पूर्व मुख्य सलाहकार वीके पांडियन का हाथ होने का इशारा करते हुए देवाशीष सामंतराय ने कहा था कि सस्मित खलनायक नहीं हैं, उनके पीछे जो मुख्य सलाहकार हैं, वही असली जिम्मेदार हैं।
सामंतराय के इस बयान के जवाब में सांसद सुलता देव ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी और सामंतराय की टिप्पणी को पार्टी की एकता के लिए घातक बताया। इसके बाद देवाशीष ने एक बार फिर बिना नाम लिये पलटवार करते हुए कहा कि जो वरिष्ठ नेता संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने के लिए मेहनत कर रहे हैं, उनकी तुलना किसी कनिष्ठ सदस्य से करना अनुचित है। एक जूनियर सदस्य कमांड की श्रृंखला को तोड़ रही है, जो पार्टी हित में नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की वर्तमान स्थिति को लेकर बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक पूरी तरह से अवगत हैं और यदि आवश्यकता हुई तो वह स्वयं हस्तक्षेप करेंगे।
धीरे-धीरे खुलकर सामने आ रहा अंसतोष
विश्लेषकों का मानना है कि बीजद के भीतर हाल के दिनों में जिस तरह से बयानबाज़ी बढ़ी है, वह पार्टी में बढ़ती गुटबाज़ी और आंतरिक असंतोष का संकेत है। खासतौर पर वीके पांडियन की भूमिका को लेकर कई नेता लंबे समय से असहज हैं और अब वह असंतोष धीरे-धीरे खुलकर सामने आ रहा है।
सुलता देव इस मुद्दे पर चुप
फिलहाल सुलता देव इस मुद्दे पर चुप हैं, लेकिन देवाशीष सामंतराय के लगातार आ रहे बयान यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में पार्टी के भीतर यह मामला और गहराने वाला है। बीजद जैसी अनुशासित छवि वाली पार्टी के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है, खासकर तब जब राज्य में नई सरकार और नए नेतृत्व के सामने खुद को एकजुट दिखाना चुनौती बना हुआ है।