Sat. Apr 19th, 2025
  • बीजद नेता ने नवीन पटनायक को लिखा पत्र

  • पार्टी की धर्मनिरपेक्ष पहचान को फिर से स्थापित करने की अपील

  • समाज के वंचित वर्गों की अनदेखी का लगाया आरोप

  • वक्फ विधेयक पर भी जताई चिंता

भुवनेश्वर। वक्फ विधेयक पर बीजू जनता दल (बीजद) के रुख को लेकर पार्टी में मचे सियासी घमासान के बीच वरिष्ठ नेता और आठगढ़ विधायक रणेन्द्र प्रताप स्वाईं ने बीजद की वैचारिक पहचान को फिर से स्थापित करने की जोरदार अपील की है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक को पत्र लिखकर बीजद की धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय पर आधारित मूल विचारधारा की रक्षा करने की जरूरत पर बल दिया है।

स्वाईं ने चेतावनी देते हुए लिखा कि आइए हम यह न होने दें कि कुछ लोग पार्टी को हाइजैक करें, सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ें और क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ावा दें।

उन्होंने वक्फ विधेयक विवाद के कारण पार्टी में उत्पन्न अशांति का भी जिक्र किया और पार्टी नेतृत्व से धर्मनिरपेक्षता पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की। अंत में उन्होंने विश्वास जताया कि नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल इन चुनौतियों से उबर सकता है और एक साहसी रास्ता अपना सकता है।

अपने पत्र में स्वाईं ने लिखा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और महिलाएं, जो ओडिशा की 94% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं, उन्हें आज भी गहरे संरचनात्मक उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से राज्य में ओबीसी समुदाय के लिए उच्च शिक्षा में 0% आरक्षण का मुद्दा उठाया।

स्वाईं ने लिखा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि बीजू बाबू की राजनीति की जड़ें सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और क्षेत्रीय गरिमा में थीं। अगर हम सामाजिक न्याय को अपनी राजनीति की मूल भावना बनाएं, तो यह जनता के साथ गहराई से जुड़ पाएगा। उन्होंने सामाजिक न्याय को आर्थिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और धर्मनिरपेक्षता से जोड़ा।

खनिज संपदा की लूट और सुप्रीम कोर्ट आदेशों की अनदेखी

स्वाईं ने ओडिशा की खनिज संपदा की ‘बिना रोक-टोक दोहन’ पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में शामिल कुछ लोग खनन ऑपरेटरों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के 2024 के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, जिनमें खनन कंपनियों से उपकर वसूली और बकाया टैक्स वसूली की बात कही गई थी।

हर साल करीब 2 लाख करोड़ की क्षति

उन्होंने लिखा कि ओडिशा को हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की क्षति हो रही है और लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की वसूली अब तक लंबित है।

जनजातीय अधिकारों की उपेक्षा और केंद्र की बेरुखी पर नाराजगी

स्वाईं ने राज्य में पेसा कानून को लागू न करने की आलोचना की और आरोप लगाया कि पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने के लिए फर्जी ग्राम सभाएं आयोजित की जा रही हैं, जिससे आदिवासी अधिकारों का हनन हो रहा है।

केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा

इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त, ऐतिहासिक रूप से पिछड़े और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाले ओडिशा को बार-बार विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार करना एक और प्रकार का अन्याय है।

पार्टी नेतृत्व के सामने रखे 5 सुझाव

स्वाईं ने बीजद नेतृत्व को पार्टी को मजबूत करने और जनता का विश्वास पुनः प्राप्त करने के लिए पांच प्रमुख सुझाव दिए—

  1. संपूर्ण जातीय जनगणना कराना,जिससे नीति निर्माण में समानता आए।
  2. खनन कर से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना और लंबित बकाया वसूली करना।
  3. पेसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना,जिससे आदिवासी अधिकार सुरक्षित रह सकें।
  4. ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र पर दबाव बनाना।
  5. एससी, एसटी,ओबीसी,अल्पसंख्यक और महिलाओं को पार्टी संगठन में समान प्रतिनिधित्व देना।

पत्र सोशल मीडिया पर वायरल

यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और ओडिशा की राजनीति में हलचल मचा दी है। लंबे समय से बीजद के वफादार और अनुभवी नेता माने जाने वाले स्वाईं ने पत्र में लिखा है कि कुछ व्यक्तियों को अनुचित प्रभाव और अधिकार मिल रहे हैं, जिससे पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को नुकसान पहुंच रहा है और सामाजिक संतुलन व क्षेत्रीय समरसता पर असर पड़ रहा है।

स्वाईं की चिंताओं को पार्टी ने गंभीरता से लिया

रणेन्द्र स्वाईं की इस चिट्ठी पर बीजद समन्वय समिति के अध्यक्ष देवी प्रसाद मिश्र ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह हमारे वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे गंभीर मुद्दे वही उठा सकते हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए लंबे समय तक काम किया है। ‘हाइजैक’ शब्द का उन्होंने जो प्रयोग किया है, अगर उनके पास इस संबंध में जानकारी है तो वह जरूर पार्टी को बताएं।

मिश्र के बयान से साफ है कि पार्टी स्वाईं की चिंताओं को हल्के में नहीं ले रही है और इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि, यह घटनाक्रम बीजद के भीतर गहराते असंतोष और शक्ति संतुलन को लेकर मचे उथल-पुथल की ओर स्पष्ट इशारा करता है।

नवीन पटनायक पर टिकी निगाहें

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नवीन पटनायक इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या पार्टी संगठन में कोई ठोस बदलाव देखने को मिलेगा।

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