भुवनेश्वर। देश के इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक जालियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी पर आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। दोनों नेताओं ने इस हृदयविदारक त्रासदी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ बताया, जिसने पूरे राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया और स्वतंत्रता के आंदोलन को नई दिशा दी।
अपने सोशल मीडिया संदेश में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जालियांवाला बाग में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा निहत्थे भारतीयों पर की गई बर्बर गोलीबारी को याद करते हुए लिखा कि आज से 105 वर्ष पूर्व, 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की अमानवीय क्रूरता का शिकार हुए निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को शत् शत् नमन। भारत उन शहीदों का सदा ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई। उस दिन की औपनिवेशिक क्रूरता ने एक नई राष्ट्रीय चेतना को जन्म दिया, जो और भी अधिक प्रखर, निडर और स्वतंत्रता के लिए संकल्पित थी।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी इस ऐतिहासिक त्रासदी को याद करते हुए अपने संदेश में लिखा कि जालियांवाला बाग हत्याकांड हमारे पूर्वजों द्वारा भारत की आज़ादी की कीमत चुकाने की एक मार्मिक याद है। उन वीरों का साहस और बलिदान सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। मुख्यमंत्री माझी ने भावभीने शब्दों में लिखा कि जालियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि। उनका साहस और बलिदान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पावन पर्व पर हजारों की संख्या में निर्दोष लोग अमृतसर के जालियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा में जुटे थे। तभी ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने अपने सैनिकों को बिना चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सैकड़ों लोग मारे गए, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी। यह कांड स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक भावनात्मक और क्रांतिकारी मोड़ बन गया।
