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ओडिशा की देवमाली चोटी पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

  • पिकनिक और रात्रि ठहराव पर भी सख्ती

  •  कचरा फैलाने पर 1,000 का लगेगा जुर्माना

  • कोरापुट प्रशासन ने लागू किया पर्यटकों के लिए नया नियम

कोरापुट। ओडिशा की सबसे ऊंची चोटी देवमाली में बढ़ते कचरे और प्रदूषण को देखते हुए कोरापुट प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। प्रशासन ने देवमाली चोटी पर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और पर्यटकों की आवाजाही को भी नियंत्रित किया है।

कोरापुट जिला कलेक्टर वी कीर्ति वासन ने बताया कि कोई भी व्यक्ति अगर देवमाली में प्लास्टिक, खाद्य अपशिष्ट या किसी भी प्रकार का कचरा फैलाते पाया गया तो उस पर 1,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

बिना अनुमति पिकनिक या पार्टी पर कार्रवाई

अब से कोई भी व्यक्ति अगर बिना पूर्व अनुमति के देवमाली की चोटी पर पिकनिक या पार्टी करता पाया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पर्यटकों की आवाजाही पर समयबद्ध प्रतिबंध

पर्यटक केवल सुबह 5 बजे से शाम 8 बजे तक देवमाली की चोटी पर जा सकते हैं। शाम 8 बजे के बाद केवल उन्हीं पर्यटकों को रुकने की अनुमति होगी, जिन्होंने ईको-कॉटेज या टेंट साइट में पूर्व बुकिंग कर रखी हो।

निजी कैम्पिंग पहले ही प्रतिबंधित

प्रशासन ने पहले ही नवंबर 2024 में चोटी पर निजी कैम्पिंग पर रोक लगा दी थी। वर्तमान में सरकार द्वारा 10 ईको-कॉटेज और प्रशासन द्वारा 100 टेंट साइट्स संचालित किए जा रहे हैं।

पर्यटन में भारी वृद्धि, प्रदूषण भी बढ़ा

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में देवमाली को 4.8 लाख पर्यटकों ने देखा, जबकि 2023 में यह संख्या 3.9 लाख थी। इस बढ़ती भीड़ के कारण पहाड़ी पर प्लास्टिक और कचरे का जमाव भी लगातार बढ़ रहा है।

एसएस राजामौली ने भी उठाई आवाज

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक एसएस राजामौली ने हाल ही में देवमाली की एकल ट्रेकिंग यात्रा की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि देवमाली की ट्रेकिंग अविस्मरणीय रही। परंतु रास्ते में फैला कचरा देखकर बहुत दुख हुआ। ऐसी सुंदर जगहों को हमारी जिम्मेदारी से सुरक्षित रखना चाहिए। हर पर्यटक को अपना कचरा साथ लेकर वापस लौटना चाहिए।

नियम पालन से ही संरक्षित रह पाएगा देवमाली

प्रशासन के इन कड़े कदमों का उद्देश्य देवमाली की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित रखना और भविष्य में इसे और अधिक जिम्मेदारी से विकसित करना है, क्योंकि देवमाली केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि ओडिशा की गौरवशाली प्राकृतिक धरोहर है। यदि पर्यटक नियमों का पालन करें और स्वच्छता बनाए रखें, तो यह स्थल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतना ही दिव्य बना रहेगा।

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