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Pareekshit purohit स्वतंत्रता संग्रामी परीक्षित पुरोहित के निधन पर शोक

स्वतंत्रता संग्रामी परीक्षित पुरोहित के निधन पर शोक

भुवनेश्वर। भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी व नाटृय कलाकार परीक्षित पुरोहित के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। उनका निधन 95 साल की उम्र में हो गया। वे ‘कोटसमलाई ग्राम’, सोनपुर जिला, संबलपुर, ओडि़शा के निवासी थे। स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान, जन-व्‍याप्‍त प्रजा आंदोलन में इनकी भूमिका अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण थी। अपने सार्थक जीवनकाल में इन्‍होंने एक कर्मठ समाजसेवी, अभिनेता, नाट्य निर्देशक और मंच परिचालक व नाट्य गुरु की विभिन्‍न भूमिकाएं निभाईं। प्रत्‍येक कार्यक्षेत्र में अनूठा समर्पण भाव व निष्‍ठा अंतनिर्हित थी।
लगभग सौ से अधिक ओड़िया नाटकों में अपने अभिनय व निर्देशन द्वारा इन्‍होंने श्रेष्‍ठता हासिल की। अपनी भाव-भंगिमाओं से कल्‍पनात्‍मक पात्रों में जीवन संचारित कर देते थे। नाट्य-प्रदर्शन में अपने निर्देशन द्वारा, प्राण फूंक देते थे। सोनपुर के बहुचर्चित नाट्यदल ‘श्री जगन्‍नाथ नाट्यकला परिषद्’ का गठन भी इनके द्वारा किया गया था। नाट्य क्षेत्र में इनकी अद्भुत प्रतिभा के लिए, इन्‍हें महानदी साहित्‍य संसद की ओर से ‘महानदी नाट्य सम्‍मान 2024’ से सम्‍मानित किया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं विलक्षण कलाकार के देवलोकगमन पर सम्पूर्ण ओड़िशा भाषी शोकाकुल हैं और वे परीक्षित पुरोहित जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहें हैं। उनके पार्थिव शरीर को देखने के लिए कई गांव के लोग उनके पैतृक गांव इकट्ठा हुए और अपनी संवेदनाएं व्यक्त किया। अंतिम समय में उनके पास उनके  परिवार लोग और प्रियजन उपस्थित थे। उनके वियोग में समग्र क्षेत्र में दुःख का वातावरण है।

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